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आलेख

हिंदी दिवस: हिंदी का उत्सव या मातम ? –डा.राजाराम त्रिपाठी

मैं काफी हवाई यात्राएं करता हूं और किताबें पढ़ने का भी बड़ा शौकीन हूं, कई भाषाएं जानता समझता हूं पर पढ़ने का आनंद मुझे हिंदी में ही आता है।निर्धारित समय से पूर्व एयरपोर्ट पहुंचने पर मेरा समय प्रायः वहां की किताब की दुकानों में गुजरता है। किंतु यह विडंबना ही …

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विसंगतियों की भेंट चढ़ती भारत की कृषि नीतियां – डा.राजाराम त्रिपाठी

“मरीज ए इश्क पर रहमत खुद की, मरज बढ़ता गया जूं जूं दवा की” मियां ग़ालिब की यह दो पंक्तिया भारत की खेती और किसानों के हालात पर बिल्कुल सटीक बैठती हैं। संदर्भ यह है कि हाल ही में देश का ‘आर्थिक सर्वेक्षण’ और सालाना बजट- 24 लगातार दो दिनों …

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छत्तीसगढ़ की समृद्ध आदिवासी संस्कृति की देश-विदेश में अलग पहचान – छगनलाल लोन्हारे/जी.एस. केशरवानी

(विश्व आदिवासी दिवस 9 अगस्त पर विशेष) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने छत्तीसगढ़ में 32 प्रतिशत जनजातीय समुदाय की आबादी को देखते हुए राज्य की बागडोर विष्णु देव साय के हाथों में सौंपी है। राज्य गठन के 23 वर्षों बाद वे ऐसे पहले आदिवासी नेता है जिन्हें राज्य के मुखिया के …

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बजट 24:  किसानों के साथ एक बार फिर छलावा- डा.राजाराम त्रिपाठी

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का बजट-24 दो मायनों में अभूतपूर्व रहा। पहली तो यह कि देश के इतिहास में पहली बार किसी वित्त मंत्री ने 7 वीं बार बजट पेश किया है, हालांकि इस रिकॉर्ड के बनने से देश का क्या भला होने वाला है तथा इकोनॉमी पर क्या प्रभाव …

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ईरान के चुनाव: उम्मीद की नई किरण – रघु ठाकुर

ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर पश्चिमी दुनिया ने जो प्रतिबंध ईरान पर लगाये थे जिससे ईरान का व्यापार सिकुड़ा है, डॉ. मसूद की नीति के चलते अब यह संभावना है कि इन प्रतिबंधों से ईरान को मुक्ति मिले और ईरान, यूरोप व दुनिया में व्यापार व विकास का एक …

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देश के 85 प्रतिशत खेत हो रहे बांझ, इसका असल जिम्मेदार कौन ? – राजाराम त्रिपाठी

  केन्द्र में एक और नई सरकार चुनकर आ गई है। पिछले 5 सालों में विभिन्न कारणों से किसान लगातार आंदोलित रहे हैं। पर आज हम ना तो आंदोलनों की बात करेंगे ना किसी सरकार पर कोई आरोप लगाएंगे। हम यहां भारतीय खेती की वर्तमान दशा-दिशा का एक निष्पक्ष समग्र …

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2024 के संसदीय चुनाव परिणाम में छिपा है जनता का संदेश – रघु ठाकुर

लोकसभा के चुनाव परिणाम आ चुके हैं और नई सरकार का गठन भी हो चुका है। इस संसदीय चुनाव में यद्यपि भाजपा और श्री मोदी ने अबकी बार 400 पार के नारे से अभियान शुरू किया था। परन्तु मतदाताओं ने उनका नारा बदल दिया और कहा कि अबकी बार मुश्किल …

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योग से जुड़ता पूरा विश्व – धनंजय राठौर

योग का अर्थ होता है, जुड़ना। योग के माध्यम से आज पूरा विश्व एक परिवार के रूप में जुड़ गया है। भारत में योग प्राचीन काल से ही किया जा रहा है, जिसका मुख्य उद्देश्य मानव शरीर और मानसिक स्वास्थ्य को स्वस्थ रखना हैं। योग न केवल शरीर को रोगमुक्त …

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भारत ने फिर साबित किया, कि वह ‘लोकतंत्र की जननी’ – डॉ राजाराम त्रिपाठी एवं एम.राजेन्द्रन

  18वीं लोकसभा के चुनावी नतीजे आ गए हैं और दीवार पर लिखी ये इबारत अब साफ पढ़ने में आ रही है कि गठबंधन सरकार बनने जा रही है। हालिया चुनावी नतीजों के बारे में राजनीतिक विश्लेषक चाहे जो भी दावा करते रहे पर इस चुनाव का मुख्य निष्कर्ष तो …

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पटका सदस्यता राजनीति का पतन – रघु ठाकुर

भारतीय राजनीति के राजनैतिक संस्कृति में निरंतर गिरावट हो रही है। आजादी के समय में कांग्रेस पार्टी जो देश की प्रमुख पार्टी थी, की सदस्यता के बारे में जो नियम थे वह काफी कड़े थे और जो लोग सदस्य बनते थे उनमें से सभी तो नहीं पर अधिकांश लोग अपनी …

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