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महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले का बदला नाम, अब अहिल्यानगर से जाना जाएगा

महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले का नाम बदलकर ‘अहिल्यानगर’ कर दिया गया है। पुण्यश्लोक अहिल्यादेवी होलकर मराठा-मालवा साम्राज्य की प्रसिद्ध रानी थीं। उन्होंने उत्तर भारत के भी अनेक धार्मिक स्थलों का जीर्णोद्धार कराया था। भौगोलिक क्षेत्रफल की दृष्टि से ‘अहिल्यानगर’ इस पश्चिमी भारतीय राज्य महाराष्ट्र का सबसे बड़ा जिला है।

भाजपानीत महायुति सरकार ने लोकसभा चुनाव से पहले 13 मार्च 2024 को मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में अहमदनगर का नाम बदलकर अहिल्यानगर करने का फैसला किया था।

महाराष्ट्र सरकार ने जारी की राजपत्र अधिसूचना
एक अक्टूबर को गृह मंत्रालय से मंजूरी मिलने के बाद, महाराष्ट्र सरकार ने विधानसभा चुनावों से पहले शनिवार को नाम बदलने के बारे में राजपत्र अधिसूचना जारी कर दी। अहिल्याबाई होलकर (31 मई, 1725 – 13 अगस्त, 1795) को एक महान रानी के रूप में जाना जाता है। उन्होंने कई सामाजिक कार्यों में भाग लिया तथा पूरे भारत में सैकड़ों मंदिरों और धर्मशालाओं के निर्माण में मदद की।

अहिल्याबाई होलकर का जन्म अहमदनगर जिले के चौंडी में एक धनगर परिवार में हुआ था और उनका विवाह होलकर राजवंश के खांडेराव होलकर से हुआ था। अपने पति खांडेराव होलकर और ससुर मल्हार राव होलकर के निधन के बाद अहिल्याबाई होलकर ने होलकर राजवंश के मामलों को खुद संभाला। उन्होंने घुसपैठियों के खिलाफ मालवा राज्य की रक्षा की और खुद युद्ध में सेनाओं का नेतृत्व किया।

कौन है अहिल्याबाई होलकर?
अहिल्याबाई होलकर भारतीय इतिहास की एक प्रमुख और प्रभावशाली शख्सियत रही और उन्हें देश की सबसे दूरदर्शी महिला शासकों में से एक माना जाता है। यह कदम महाराष्ट्र सरकार के निर्णय और उसके बाद केंद्र की मंजूरी के बाद उठाया गया है, जिसमें औरंगाबाद का नाम बदलकर छत्रपति संभाजी नगर और उस्मानाबाद का नाम बदलकर धाराशिव करने का निर्णय लिया गया था।

अहमदनगर जिला, जो अपने ‘ग्रामीण विकास और सहयोग’ तथा ‘संतों की भूमि’ के रूप में जाना जाता है, पश्चिमी महाराष्ट्र में स्थित है। भौगोलिक क्षेत्र की दृष्टि से इस जिले को महाराष्ट्र का सबसे बड़ा जिला होने का गौरव प्राप्त है। जिले का कुल भौगोलिक क्षेत्रफल 17,048 वर्ग किलोमीटर है – जो राज्य के कुल क्षेत्रफल का 5.6 प्रतिशत है।

2016 के अंत में जिले में थीं 20 चीनी मिलें
अहमदनगर जिला आज भी सहकारी क्षेत्र में अपनी विशेष पहचान रखता है। भारत का पहला सहकारी चीनी कारखाना वर्ष 1950 में अहमदनगर के प्रवरानगर में स्थापित किया गया था। महाराष्ट्र में चीनी उत्पादन का आधे से अधिक उत्पादन अकेले इसी जिले में होता है। 2016 के अंत में जिले में 20 चीनी मिलें थीं। नाम बदलने का यह घटनाक्रम ऐसे समय में हुआ है जब धनगर समुदाय अनुसूचित जनजाति में शामिल होने की मांग कर रहा है।

धनगर समुदाय – पारंपरिक खानाबदोश चरवाहे – जिन्हें एनटी (सी) श्रेणी के तहत शिक्षा और नौकरियों में 3.5% आरक्षण मिलता है, मांग कर रहे हैं कि उन्हें अनुसूचित जनजाति के तहत रखा जाए, जिन्हें 7% कोटा प्राप्त है।

धनगर समुदाय के नेताओं का दावा है कि ‘धनगर’ और ‘धंगड़’ एक ही हैं और एक टाइपोग्राफिकल त्रुटि के कारण उन्हें अन्य राज्यों के विपरीत महाराष्ट्र में अनुसूचित जनजाति के लाभ प्राप्त करने से वंचित होना पड़ा है। एसटी समुदाय इस विचार का विरोध कर रहा है क्योंकि इससे उनका कोटा कम हो जाएगा। राज्य की कुल आबादी में धनगरों की हिस्सेदारी 9-10% है।