छत्तीसगढ़ अगले महीने पहली बार अखिल भारतीय डीजीपी-आईजीपी सम्मेलन की मेजबानी करेगा। 28 नवंबर से शुरू होने वाले इस तीन दिवसीय सम्मेलन में देशभर से पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों के शीर्ष अधिकारी शामिल होंगे। आंतरिक सुरक्षा, नक्सल विरोधी अभियान और साइबर सुरक्षा जैसे अहम मुद्दों पर इस दौरान गहन चर्चा की जाएगी।
सम्मेलन के 60वें संस्करण का उद्घाटन केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह करेंगे, जबकि समापन सत्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शामिल होने की संभावना है। प्रधानमंत्री 1 नवंबर को राज्य स्थापना दिवस समारोह में छत्तीसगढ़ आने की भी संभावना है। अधिकारियों के मुताबिक, डीजीपी और आईजीपी रैंक के लगभग 250 वरिष्ठ अधिकारी प्रत्यक्ष रूप से मौजूद रहेंगे, जबकि 200 से अधिक अन्य अधिकारी वर्चुअल माध्यम से जुड़ेंगे।
नक्सल प्रभावित क्षेत्रों पर फोकस
इस बार सम्मेलन में नक्सल प्रभावित इलाकों पर विशेष जोर रहेगा। खासकर छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग में हाल के महीनों में राज्य पुलिस और केंद्रीय बलों के संयुक्त अभियानों से मिली बड़ी सफलताओं पर चर्चा होगी। इसके आधार पर आगे की नई रणनीतियाँ तय की जाएंगी। केंद्रीय गृह मंत्री पहले ही नक्सल समस्या को पूरी तरह खत्म करने की समय सीमा 31 मार्च 2026 तय कर चुके हैं।
अन्य अहम विषय भी एजेंडे में
सम्मेलन में नक्सलवाद के साथ-साथ मादक पदार्थों की तस्करी पर रोक, जम्मू-कश्मीर की स्थिति और सीमा प्रबंधन जैसे राष्ट्रीय महत्व के मुद्दों पर भी विचार-विमर्श होगा। अधिकारियों और प्रधानमंत्री के बीच नाश्ते, दोपहर और रात्रिभोज के दौरान भी विषयगत चर्चाओं की योजना है, जिससे सीधे संवाद का अवसर मिलेगा।
सम्मेलन के आयोजन का इतिहास
2013 तक यह वार्षिक बैठक हमेशा नई दिल्ली में होती थी, लेकिन 2014 के बाद से इसे देशभर के विभिन्न शहरों में आयोजित किया जा रहा है। अब तक यह सम्मेलन गुवाहाटी, कच्छ, हैदराबाद, टेकनपुर, केवड़िया, पुणे, लखनऊ, दिल्ली, जयपुर और भुवनेश्वर में हो चुका है। छत्तीसगढ़ में यह पहली बार होने जा रहा है।