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युवाओं में तेजी से बढ़ रहा है आंत का कैंसर

लाइफस्टाइल और आहार की गड़बड़ी ने कई गंभीर और जानलेवा बीमारियों के खतरे को काफी बढ़ा दिया है। लिहाजा कम उम्र के लोग भी तेजी से हृदय रोग, डायबिटीज और कैंसर जैसे बीमारियों का शिकार हो रहे हैं। आंकड़ों पर नजर डालें तो पता चलता है कि युवा आबादी में कैंसर के मामले भी बढ़ते जा रहे हैं, जिसके कारण न सिर्फ स्वास्थ्य सेवाओं पर अतिरिक्त दबाव बढ़ गया है साथ ही ये मौत का भी प्रमुख कारण है। हालिया रिपोर्ट्स में युवा आबादी के बीच बढ़ते कोलन कैंसर के जोखिमों को लेकर अलर्ट किया गया है।

शुक्रवार (3 अक्तूबर) को अमर उजाला में प्रकाशित रिपोर्ट में हमने बताया कि किस तरह से लंबी दौड़ लगाने वाले लोगों में कोलन कैंसर का जोखिम बढ़ जाता है। अब एक अन्य अध्ययन में शोधकर्ताओं ने इसके कुछ अन्य जोखिम कारक बताए हैं जिसके कारण भी लोगों को आंत का कैंसर हो सकता है

युवाओं में कोलोरेक्टल कैंसर का जोखिम
मेडिकल रिपोर्ट्स बताती हैं कि कोलोरेक्टल कैंसर आमतौर पर 60 से अधिक उम्र के लोगों अधिक देखी जाने वाली समस्या रही है, हालांकि अब कम उम्र वालों में इसका खतरा बढ़ गया है। ये सिर्फ व्यापक स्क्रीनिंग या बेहतर निदान के कारण बढ़ता डेटा नहीं है, खान-पान से संबंधित गड़बड़ियां इसका प्रमुख कारण हो सकती हैं।

विशेषज्ञों का अनुमान है कि युवाओं में कोलन कैंसर के 75% मामले ऐसे देखे जा रहे हैं जिनका कोई पूर्व पारिवारिक इतिहास या ज्ञात आनुवंशिक प्रवृत्ति नहीं रही है। ऐसे लोगों में जिस एक कारण को सबसे ज्यादा जिम्मेदार पाया गया है अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड्स की आदत उनमें से एक है।

अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड्स बढ़ा रहे हैं जोखिम
नेचर रिव्यूज एंडोक्रिनोलॉजी में साल 2025 की समीक्षा में इन संबंधों पर प्रकाश डाला गया है। शोधकर्ताओं ने पाया कि अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड्स का बढ़ता सेवन युवाओं में इस खतरनाक कैंसर को बढ़ाता जा रहा है।

ब्रिटिश मेडिकल जर्नल में प्रकाशित अध्ययन में वैज्ञानिकों ने तीन बड़े अमेरिकी समूहों को शामिल किया, ताकि इस तरह के खाद्य पदार्थों और कोलोरेक्टल कैंसर के जोखिम के बीच संबंधों का पता लगाया जा सके। इनमें से एक समूह में 46,000 से ज्यादा पुरुष शामिल थे, जिनका 24 से 28 वर्षों तक अध्ययन किया गया।

अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड्स का सबसे कम सेवन करने वाले समूह की तुलना में, ऐसे खाद्य पदार्थ ज्यादा खाने वालों में कैंसर का खतरा 29% तक अधिक पाया गया।

अल्ट्रा-प्रोसेस्ड का किस तरह से पड़ता है असर
शोधकर्ताओं ने पाया कि अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड्स शरीर में इंसुलिन के सिग्नल और प्रभावों को बाधित कर सकते हैं। इसके अलावा इससे इंफ्लेमेशन और आंत के माइक्रोबायोम में परिवर्तन भी देखा गया है। ये सभी कैंसर के विकास को बढ़ाने वाले हो सकते हैं। हम जो खाते हैं उसका असर हमारी कोशिकाओं की वृद्धि, प्रतिरक्षा प्रणाली की कार्यप्रणाली और हमारे आंत के बैक्टीरिया पर पड़ता है।

अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड्स में आमतौर पर पाए जाने वाले इमल्सीफायर, एडिटिव्स और कृत्रिम स्वीटनर को अध्ययनों में आंतों की सूजन और ट्यूमर के विकास को बढ़ावा देने वाले पाए गए हैं। ऐसे में इस तरह की चीजों का अधिक सेवन शरीर को गंभीर रूप से क्षति पहुंचाने वाला हो सकता है।

कोलन कैंसर के लक्षण और बचाव
युवाओं में कोलन कैंसर का खतरा इसलिए और खतरनाक है क्योंकि शुरुआती लक्षण जैसे पेट दर्द, कब्ज या खून आना अक्सर नजरअंदाज कर दिए जाते हैं। जब तक सही जांच होती है, तब तक बीमारी बढ़ चुकी होती है। इसलिए जरूरी है कि युवा अपनी जीवनशैली पर ध्यान दें। ज्यादा से ज्यादा फाइबर, हरी सब्जियां और फल खाएं।

इसके अलावा नियमित व्यायाम करें और नियमित रूप से हेल्थ चेकअप कराते रहें। सही जागरूकता इस बढ़ती समस्या को रोकने का सबसे बड़ा हथियार हो सकती है।