Sunday , October 6 2024
Home / देश-विदेश / धान का कटोरा कहे जाने वाले भोजपुर में 12 दिनों से बंद है धान की सरकारी खरीद, पढ़े पूरी खबर  

धान का कटोरा कहे जाने वाले भोजपुर में 12 दिनों से बंद है धान की सरकारी खरीद, पढ़े पूरी खबर  

धान का कटोरा कहे जाने वाले भोजपुर में 12 दिनों से धान की सरकारी खरीद बंद है। अरवा और उसना चावल के फेर में पैक्स किसानों का धान नहीं खरीद रहे हैं। वहीं, सरकारी तंत्र मौन धारण किये हुए हैं। कई प्रखंडों में धान कटनी समाप्ति पर है। कई प्रखंडों में आधे से अधिक धान कट चुका है। सरकार के मौन और पैक्सों द्वारा किसानों के धान लेने से बहिष्कार से किसान संकट में है। मजबूरी में वे लोग बिचौलियों और महाजनों की शरण में जा रहे हैं और कम कीमतों में धान बेचने को मजबूर हैं।

22 नवंबर से पैक्स नहीं खरीद रहे हैं किसानों का धान

जिले में कुल दो लाख 43 हजार मीट्रिक टन धान की अधिप्राप्ति करनी है। खुले बाजार में धान तेजी से बिक रहा है। स्थानीय व्यापारी 1650-1700 रुपये प्रति क्विंटल धान धड़ाधड़ खरीद रहे हैं। जबकि सरकार की ओर से समर्थन मूल्य 2040 रुपये प्रति क्विंटल है। सरकार ऐसा किसानों को लागत के हिसाब से लाभ पहुंचाने के लिए करती है, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है। जिले में जगदीशपुर, शाहपुर, संहार, संदेश, उदवंत नगर में धान कटनी 60 प्रतिशत से अधिक हो गई है। वहीं पैक्सों द्वारा धान अधिप्राप्ति मात्र 669 मीट्रिक टन किया गया है। 22 नवंबर के बाद धान अधिप्राप्ति नहीं की गई है। बिहिया के फिगनी पैक्स द्वारा शनिवार को मात्र खरीदारी की गई है। वहीं जिले के 209 पैक्सों ने अधिप्राप्ति बंद कर दिया है।

कुढ़नी विधानसभा उपचुनाव के बाद सरकार लेगी निर्णय

बता दें कि अरवा चावल उपलब्ध कराने की बाध्यता को लेकर पैक्सों ने धान अधिप्राप्ति का बहिष्कार किया है। जिला सहकारिता पदाधिकारी विजय कुमार सिंह ने बताया कि अभी तक सरकार ने अरवा चावल बिहार राज्य खाद्य निगम में उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है, जिले में नौ उसना मिला है। इसलिए पैक्सों को धान अधिप्राप्ति करनी चाहिए। वहीं, संदेश प्रखंड के चिलहौस पैक्स के अध्यक्ष तेजप्रताप सिंह का कहना है कि जितनी मात्रा में धान की अधिप्राप्ति होनी है, उसके अनुसार जिले में उसना मिल नहीं रहा है। ऐसे में सरकार को केवल उसना चावल की मिलिंग की बाध्यता को खत्म कर उसना और अरवा चावल का अनुपात तय करना चाहिए। इधर, सूत्र बताते हैं कि पांच दिसंबर को कुढ़नी विधानसभा उपचुनाव के बाद सरकार इस पर कुछ अहम निर्णय ले सकती है।