बिजली उपभोक्ताओं का लोड अब मनमाने तरीके से हर तीन माह की रिपोर्ट के आधार पर नहीं बढ़ाया जा सकेगा। लोड बढ़ाते समय एक साल की रिपोर्ट का अध्ययन जरूरी होगा। इसी आधार पर लोड बढ़ाया जा सकेगा। यह निर्णय बृहस्पतिवार को विद्युत नियामक आयोग में बिजली दरों की सुनवाई के दौरान लिया गया।
नियामक आयोग के अध्यक्ष अरविंद कुमार व सदस्य संजय कुमार सिंह ने बिजली दरें बढ़ाने से इन्कार करते हुए कई अन्य फैसले भी लिए गए। इसमें तीन किलोवाट के उपभोक्ता को भी 3 फेज का कनेक्शन देने का निर्णय हुआ। निगमों का 11203 करोड़ का दिखाया गया घाटा भी आयोग ने खारिज किया। पावर ट्रांसमिशन कॉरपोरेशन का 12 प्रतिशत टैरिफ भी कम किया गया है। यह पहले 26 पैसे थी अब इसे 23 पैसे कर दिया गया है। नोएडा पावर कंपनी की दरें आगे भी 10 प्रतिशत कम रहेंगी। यूपीएसएलडीसी का पहली बार 536 प्रति मेगावाट प्रतिमाह का एआरआर भी अनुमोदित हुआ।
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उपभोक्ता परिषद ने उठाया बकाये का मुद्दा
सुनवाई के दौरान विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने उपभोक्ताओं का पक्ष रखा। उन्होंने बताया कि निगमों पर उपभोक्ताओं का 33122 करोड़ सरप्लस निकल रहा है। इसके एवज में उन्होंने अगले 5 वर्षों तक आठ प्रतिशत बिजली दर कम करने की मांग की। कहा, नोएडा पावर कंपनी अपने उपभोक्ताओं को यह छूट दे रही है। हालांकि आयोग ने दरें कम करने पर विचार नहीं किया है। ऐसे में परिषद अध्यक्ष ने आगे लड़ाई जारी रखने का एलान किया है। वर्मा ने कहा कि आयोग द्वारा जारी नई बिजली दरों का अध्ययन करेंगे। इसके बाद आगे की रणनीति बनाई जाएगी। सरप्लस के मुद्दे पर आयोग में पुनर्विचार याचिका दाखिल कर बिजली दरों में कमी की मांग करेंगे।
लाइन लॉस पर रार
उपभोक्ता परिषद का आरोप है कि आरडीएसएस में वर्ष 2023-24 में लाइन हानियां 10.67 प्रतिशत थी, जिसे वर्ष 2024-25 में 13.09 फीसदी कर दिया गया है। ऐसे में उपभोक्ताओं के निकलने वाले सरप्लस में करीब दो हजार करोड़ का नुकसान हुआ है। इसके खिलाफ भी याचिका लगाई जाएगी।
अधिकारियों-कर्मियों पर सख्ती
टैरिफ दरें लागू करते हुए नियामक आयोग ने विभागीय अधिकारियों एवं कर्मचारियों पर लगाम लगाने की कोशिश भी की है। नई व्यवस्था में यदि विभागीय अधिकारी व कर्मचारी मीटर नहीं लगाते हैं तो उन्हें जुर्माने के दायरे में लाया जाएगा।