कैंसर दुनिया भर में एक गंभीर चुनौती बना हुआ है। हाल ही में आई एक विस्तृत रिपोर्ट ने इस बीमारी को लेकर चिंताजनक आंकड़े पेश किए हैं। 1990 से 2023 के बीच किए गए अध्ययन से पता चला है कि इलाज और तकनीक में सुधार के बावजूद, दुनिया भर में कैंसर के मामले और इससे होने वाली मौतें तेजी से बढ़ी हैं। सबसे ज्यादा चिंता की बात यह है कि संसाधनों की कमी वाले गरीब देशों में यह बीमारी अब सबसे ज्यादा पैर पसार रही है।
सामने आए चौंकाने वाले आंकड़े
इस अध्ययन में दुनिया के 204 देशों और क्षेत्रों को शामिल किया गया, जिसमें 47 प्रकार के कैंसर और 44 जोखिम कारकों का विश्लेषण किया गया है। रिपोर्ट के अनुसार:
साल 2023 में: दुनिया भर में कैंसर के 1 करोड़ 85 लाख नए मामले सामने आए।
मौतें: इसी साल लगभग 1 करोड़ 4 लाख लोगों की मौत कैंसर के कारण हुई।
सबसे आम कैंसर: 2023 में ‘स्तन कैंसर’ के मामले सबसे ज्यादा देखे गए।
सबसे घातक: ‘फेफड़ों का कैंसर’ सबसे ज्यादा मौतों का कारण बना।
2050 तक विकराल हो सकती है स्थिति
अध्ययन में विज्ञानियों ने चेताया कि अगर इसकी रोकथाम की दिशा में जल्द ठोस कदम न उठाए गए तो 2050 तक 3.05 करोड़ लोग कैंसर से जूझ रहे होंगे। वहीं इस बीमारी से 1.86 करोड़ लोग अपनी जान से हाथ धो सकते हैं, जो आज के आंकड़ों के लगभग दोगुना है। हालांकि आर्थिक रूप से समृद्ध देशों में उम्र के हिसाब से कैंसर से होने वाली मृत्यु की दर 24 फीसदी घटी है, लेकिन दूसरी तरफ गरीब और निम्न-मध्यम आय वाले देशों में नए मामलों की दर क्रमशः 24 फीसदी और 29 फीसदी बढ़ी है।
2023 में स्तन कैंसर सबसे आम है, जबकि फेफड़ों का कैंसर सबसे ज्यादा मौतों का कारण बना। अगले 25 वर्षों में 2050 तक कैंसर के नए मामलों में 60.7 फीसदी जबकि मौतों में 74.5 फीसदी की वृद्धि होने का अंदेशा है।
रुक सकती हैं लाखों मौतें
लगभग हर छह वैश्विक मौतों में से एक कैंसर के कारण हुई। 2023 में कैंसर से होने वाली 41.7 प्रतिशत मौतें परिवर्तनीय जोखिमों के कारण थीं। तंबाकू, शराब, अस्वस्थ आहार, उच्च शरीर द्रव्यमान सूचकांक, वायु प्रदूषण और हानिकारक कार्यस्थल या पर्यावरणीय संपर्क सभी ने योगदान दिया। यदि सरकारें सार्वजनिक स्वास्थ्य नीतियों को मजबूत करें और स्वस्थ विकल्पों को आसान बनाएं, तो हर साल लाखों कैंसर को रोका जा सकता है।
कैंसर रुझानों का मॉडल किया तैयार
तीन दशकों से अधिक के डाटा का उपयोग करते हुए हमने भविष्य के कैंसर रुझानों का माडल तैयार किया। इसमें जनसंख्या वृद्धि और उम्र बढ़ने की भूमिका है, लेकिन जीवनशैली, शहरीकरण, हवा की गुणवत्ता और आर्थिक विकास में व्यापक बदलाव भी कैंसर के जोखिमों के संपर्क को बढ़ा रहे हैं। बिना बड़े हस्तक्षेप के ये रुझान जारी रहेंगे। प्रारंभिक निदान में निवेश कर सरकारें कैंसर जैसे स्तन, गर्भाशय ग्रीवा और कोलोरेक्टल कैंसर के लिए स्क्रीनिंग की पेशकश कर सकती हैं, जो जीवन बचाती है लेकिन दुनिया के अधिकांश हिस्सों में दुर्लभ है।
युवाओं में भी बढ़ रहा कैंसर
तंबाकू नियंत्रण, वायु गुणवत्ता रेगुलेशन, मोटापे की रोकथाम और कार्यस्थल सुरक्षा के लिए सुबूत हैं और इन्हें मजबूत करने की आवश्यकता है। स्वास्थ्य प्रणालियों को भी विस्तार की आवश्यकता है। प्रयोगशालाओं और प्रशिक्षित आंकोलाजी स्टाफ से लेकर सस्ते उपचारों तक सभी लोगों की पहुंच को बढ़ना होगा । उच्च गुणवत्ता वाले डाटा भी आवश्यक है। कैंसर अब केवल वृद्धों को प्रभावित करने वाली स्थिति नहीं है। कई क्षेत्रों में युवाओं को कैंसर का निदान तेजी से किया जा रहा है, जिन्हें ऐतिहासिक रूप से बाद के चरणों में देखा गया था। इसके परिणाम स्वास्थ्य से दूर तक फैले हुए हैं।
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