छत्तीसगढ़ में आरक्षण मामलों पर सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई आखिरी स्टेज में है। कोर्ट जल्द ही फैसला करेगा कि सरकारी नौकरियों में 50% से ज़्यादा आरक्षण देना गैर-संवैधानिक है या नहीं। अगर फैसला 50% की लिमिट को बरकरार रखता है, तो छत्तीसगढ़ में 260 से ज़्यादा पदों पर भर्ती प्रभावित हो सकती है, और कई नियुक्तियों को रोका जा सकता है।
कैसे शुरू हुआ विवाद?
छत्तीसगढ़ सरकार ने 2012 में आरक्षण 50% से बढ़ाकर 58% कर दिया था। 19 सितंबर, 2022 को हाई कोर्ट ने इस कानून को यह कहते हुए रद्द कर दिया कि 50% की सीमा से ज़्यादा आरक्षण मान्य नहीं है। इसके बाद, 1 मई, 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने सीमित राहत देते हुए कहा कि हाई कोर्ट के फैसले से पहले शुरू हुई भर्तियां पूरी की जा सकती हैं, लेकिन यह राहत नई भर्तियों पर लागू नहीं होगी।
नई भर्तियों में गलती से लागू हुआ 58% आरक्षण
सुप्रीम कोर्ट के साफ़ निर्देशों के बावजूद, कई राज्य एजेंसियों ने फ़ैसले को गलत समझा और 1 मई, 2023 के बाद घोषित भर्तियों पर 58% आरक्षण कोटा लागू कर दिया। कोर्ट ने ऐसा कोई निर्देश नहीं दिया था। बाद में, एक RTI (सूचना का अधिकार) अनुरोध के जवाब में, हाई कोर्ट ने साफ़ किया कि 2023 के बाद सिर्फ़ 50% आरक्षण ही मान्य है, 58% नहीं।
क्या है 58% आरक्षण का फॉर्मूला?
पहले, छत्तीसगढ़ में सरकारी नौकरियों में 50% आरक्षण कोटा था, जिसमें अनुसूचित जाति (SC) के लिए 16%, अनुसूचित जनजाति (ST) के लिए 20% और अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के लिए 14% शामिल था। हालांकि, 2012 के बाद, इसे बदलकर SC के लिए 12%, ST के लिए 32% और OBC के लिए 14% कर दिया गया, जो कुल 58% हो गया। यह बढ़ा हुआ आरक्षण कोटा विवाद का विषय बन गया।
किन भर्तियों पर सबसे ज्यादा असर?
1 मई 2023 के बाद कई विभागों ने 58% आरक्षण के आधार पर नई भर्ती निकाली—
स्वास्थ्य विभाग: 12 पद (वार्ड बॉय)
आबकारी विभाग: 200 पद (आरक्षक)
जल संसाधन विभाग: 50 पद (अमीन)
इसके अलावा भी कई चयन बोर्डों ने इसी रोस्टर पर रिजल्ट जारी कर दिए हैं। अगर सुप्रीम कोर्ट का फैसला कठोर हुआ तो इन सभी नियुक्तियों को रद्द करना पड़ सकता है, जिससे हजारों उम्मीदवार प्रभावित होंगे।
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