क्रिकेटर मोहम्मद शमी की पत्नी हसीन जहां ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। उन्होंने अदालत से मांग की है कि भारत में तलाक के लिए एक जैसा कानून होना चाहिए। साथ ही मुसलमानों में तलाक-उल-हसन और न्यायिक दायरे के बाहर तलाक देने की जो परंपरा है, उसे रद्द करना चाहिए। इस याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने स्वीकार कर लिया है और केंद्र सरकार के साथ महिला आयोग को भी नोटिस जारी किया है।
अधिवक्ता दीपक प्रकाश ने दायर की याचिका

शमी की पत्नी की ओर से अधिवक्ता दीपक प्रकाश ने याचिका दायर की है। याचिका में कहा गया है कि हसीन जहां न्यायिक दायरे के बाहर मिलने वाले तलाक-उल-हसन के एकतरफा प्रक्रिया से पीड़ित है। शमी ने उन्हें पिछले साल 23 जुलाई को तलाक-उल-हसन के तहत तलाक का पहला नोटिस भेजा था। हसीन जहां के वकील ने कहा कि शमी की ओर से मिले नोटिस के बाद जहां ने अपने करीबियों से भी संपर्क किया था जो खुद इस तरह के मामलों में फंसे हुए हैं।
शरीयत कानून में शामिल कठोर प्रथाओं से पीड़ित हैं हसीन जहां
हसीन जहां के वकील ने कोर्ट से कहा कि शमी की पत्नी शरीयत कानून में शामिल कठोर प्रथाओं से पीड़ित हैं। तलाक-ए-बिद्दत के अलावा इस कानून में और भी ऐसे तलाक हैं जो पुरुषों को उनकी मनमर्जी से बीवियों को छोड़ने का मौका देते हैं। याचिकाकर्ता ने यह भी कहा कि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड शरीयत एप्लीकेशन एक्ट, 1937 की धारा 2 असंवैधानिक है। यह देश के संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 21 और 25 का भी उल्लंघन करती है।
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