भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने क्लीन नोट पॉलिसी के तहत 2000 रुपये के नोट को वापस लेने का फैसला किया है। हालांकि, अभी ये नोट चलन में बने रहेंगे। मगर, आरबीआई ने लोगों को 30 सितंबर 2023 तक ये नोट बैंकों में जमा करने या फिर बैंकों और रिजर्व बैंक के क्षेत्रीय कार्यालयों में बदलने की सलाह दी है। आरबीआई के इस पैसले के बाद सवाल उठ रहे हैं कि आखिर यह फैसला क्यों लिया गया। कुछ लोग इसे ब्लैक मनी पर एक और हमले की तरह देख रहे हैं।

आर्थिक और कर मामलों के विशेषज्ञ देवेंद्र कुमार मिश्रा के मुताबिक, 2000 रुपये के सभी नोटों के बैंकों में पहुंचने के बाद सरकार के पास कालेधन से जुड़े सुराग भी पहुंचने के आसार हैं। साथ ही मौजूदा दौर में तेजी से बढ़ रहे डिजिटल लेन-देन को भी और बढ़ावा मिलने की संभावना है।
वहीं, आरबीआई की ओर से शुक्रवार को जारी बयान में कहा गया है कि 2000 रुपये के 89 फीसदी नोट मार्च, 2017 के आसपास के हैं। ऐसे में ये नोट अपनी 4-5 साल की इस्तेमाल करने योग्य अवधि को पूरा करने वाले हैं। आरबीआई ने बैंकों को दिए निर्देशों में साफ कहा है कि 2000 रुपये का नोट तत्काल प्रभाव से जारी न करें।
सनद रहे कि नवंबर, 2016 में नोटबंदी के बाद 2000 रुपये का नोट चलन में लाया गया था। वित्त वर्ष 2018-19 के बाद आरबीआई ने 2000 रुपये के नए नोट छापना बंद कर दिए थे।
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