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बरेली: रावण का दंभ हुआ चूर-चूर, जानिये कैसे?

बरेली में श्री राम-रावण युद्ध मंचन के बाद विभिन्न रामलीला मैदानों में रावण, कुंभकर्ण और मेघनाद
का पुतला दहन किया गया। जलते रावण को देखकर लोगों ने बुराई से दूर रहने और सत्य के मार्ग पर चलने की सीख ली।

बरेली में विजयदशमी पर रावण का दंभ मंगलवार को कुछ ही मिनटों में चूर-चूर हो गया। श्री राम-रावण युद्ध मंचन के बाद विभिन्न रामलीला मैदानों में रावण, कुंभकर्ण और मेघनाद का पुतला दहन किया गया। जलते रावण को देखकर लोगों ने बुराई से दूर रहने और सत्य के मार्ग पर चलने की सीख ली। इस दौरान मेले में हजारों की संख्या में भीड़ उमड़ी। परिवार के साथ लोगों ने जमकर खरीदारी की।

शहर में सुभाष नगर, बड़ा बाग रामलीला मैदान, बाबा वनखंडीनाथ मेला मैदान आदि स्थानों पर रावण, मेघनाद व कुंभकर्ण का पुतला दहन देखने के लिए हजारों की संख्या में भीड़ जुटी। मेले में झूले पर बच्चों ने जमकर मस्ती की। इस दौरान परिवार के साथ आए लोगों ने खूब खरीददारी भी की।

जैसे-जैसे शाम ढलती रही पुतला दहन को लेकर खासकर बच्चों में उत्सुकता बढ़ती दिखी। सुभाष नगर में रावण का पुतला फूंका गया। बड़ा बाग में बिहार के मधुवनी से आए कलाकारों ने रावण वध का मंचन किया। उसके बाद रावण के पुतला का दहन किया। मैदान में अत्याधिक भीड़ होने के चलते लोगों को आसपास के घरों की छत से पुतला दहन देखना पड़ा।

घर ले गए रावण की अस्थि
अंत में रावण व लंका के अवशेष के रूप में राख में बची लकड़ियों के टुकड़ों को लोग घर ले गए। आचार्य मुकेश मिश्रा ने बताया कि इसके पीछे मान्यता है कि रावण के वध और लंका विजय के प्रमाण स्वरूप श्रीराम की सेना लंका की राख अपने साथ ले आई थी। इसी के चलते रावण के पुतले की अस्थियों को घर ले जाने का चलन शुरू हुआ। 

इसके अलावा मान्यता यह भी है कि धनपति कुबेर की बनाई लंका की राख तिजोरियों में रखने से घर में स्वयं कुबेर का वास होता है और घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है। यही कारण है कि आज भी रावण के पुतले के जलने के बाद उसके अस्थि-अवशेष को घर लाना शुभ माना जाता है। इससे नकारात्मक शक्तियां घर में प्रवेश नहीं करती हैं।

धू-धू कर जला रावण
उत्तराखंड सांस्कृतिक समाज की ओर से राजेंद्रनगर में मंगलवार को राम-रावण युद्ध लीला का मंचन किया गया। अंत में श्रीराम ने रावण का वध कर दिया। इस मंचन को देख भक्तों ने खूब तालियां बजाईं। पूरा पंडाल श्रीराम के जयकारों से गूंज उठा। इस दौरान गोकुलनंद पाठक, त्रिलोक भाकुनी, नवल पाठक, कैलाश पंत, कैलाश पांडे, हरीश भट्ट का सहयोग रहा।

बीआई बाजार उज्ज्वल कॉलोनी में पर्वतीय समाज की रामलीला में अंगद-रावण संवाद, कुंभकर्ण, मेघनाद व रावण वध की लीला का मंचन किया गया। इससे पूर्व मेधावी छात्रों को सम्मानित किया गया। लीला का शुभारंभ डॉ. दीप पंत ने किया। इस दौरान समाज के अध्यक्ष गिरीश चंद्र पांडे, उपाध्यक्ष मदन सिंह बिष्ट, महासचिव नरेंद्र सिंह बिष्ट, सचिव चंद्र,प्रकाश जोशी उपस्थित रहे।

शस्त्रों का हुआ पूजन
आचार्य मुकेश मिश्रा ने बताया कि विजयदशमी पर लोगों ने गृह प्रवेश और व्यापार आदि नवीन कार्यों का शुभारंभ किया। दशहरे पर इस बार ग्रहों के बेहद दुर्लभ योग बने। दुर्लभ योग सुख-समृद्धि के कारक माने गए हैं। इसलिए भारी संख्या में लोगों ने वाहन, सोना, चांदी, आभूषण खरीदे। पंडित को बुलाकर विधिवत पूजन करवाया। दोपहर में शस्त्र पूजन के साथ-साथ शास्त्रों और धार्मिक पुस्तकों का पूजन भी सरस्वती के रूप में किया। लोगों ने शनि देव से सुख-समृद्धि व यश-वैभव की कामना की। देवी पूजन कर पूरे वर्ष भर सकारात्मक ऊर्जा की प्रार्थना की।