Friday , November 15 2024
Home / Uncategorized / जमरानी बांध परियोजना : 300 एकड़ जमीन सिंचाई विभाग के नाम करने की प्रक्रिया शुरू, जाने क्यों?

जमरानी बांध परियोजना : 300 एकड़ जमीन सिंचाई विभाग के नाम करने की प्रक्रिया शुरू, जाने क्यों?

जमरानी बांध परियोजना में 1236 ग्रामीण प्रभावित हो रहे हैं और इनको तीन श्रेणियों में बांटा गया है। इनमें से श्रेणी एक में शामिल 209 परिवारों को प्राग फार्म में रहने और खेती के लिए एक-एक एकड़ जमीन दी जानी है।

हल्द्वानी स्थित जमरानी बांध परियोजना को केंद्रीय कैबिनेट की मंजूरी मिलने के बाद विस्थापितों को किच्छा के प्राग फार्म में बसाया जाना है। प्राग फार्म की 300 एकड़ जमीन के लिए स्वामित्व के लिए सिंचाई विभाग का पत्र आने के बाद जिला प्रशासन कागजी कार्रवाई पूरी करने में जुट गया है।

जमीन हस्तातंरण को लेकर राज्य कैबिनेट की ओर से पहले ही मंजूरी दी जा चुकी है। जमरानी बांध परियोजना में 1236 ग्रामीण प्रभावित हो रहे हैं और इनको तीन श्रेणियों में बांटा गया है। इनमें से श्रेणी एक में शामिल 209 परिवारों को प्राग फार्म में रहने और खेती के लिए एक-एक एकड़ जमीन दी जानी है। वर्तमान में प्राग फार्म की जमीन राजस्व विभाग के नाम दर्ज है। केंद्र से बजट की मंजूरी मिलने के बाद सिंचाई विभाग की ओर से जमीन हस्तातंरण के लिए जिला प्रशासन को पत्र भेजा गया है। 

1976 में हो गया था शिलान्यास
1975 में तत्कालीन केंद्र सरकार ने जमरानी बांध निर्माण को मंजूरी दी थी और 1976 में इसका शिलान्यास भी कर दिया गया था। लेकिन यह परियोजना इससे आगे नहीं बढ़ सकी थी। 

यूपी को भी मिलेगा भरपूर पानी
परियोजना से हल्द्वानी के लोगों को भरपूर पानी मिल सकेगा। ऊधमसिंह नगर के साथ ही यूपी के रामपुर और बरेली जिले के किसानों को भी सिंचाई के लिए पानी मिल सकेगा। 

परियोजना से उत्तरप्रदेश सरकार का अंश भी बढ़ेगा
जमरानी बांध परियोजना के निर्माण को लेकर मई 2018 में उत्तरप्रदेश और उत्तराखंड सरकार के बीच एमओयू हुआ था। इसके मुताबिक बांध निर्माण में यूपी सरकार का अंश 600 करोड़ निर्धारित किया गया था। तब बांध की प्रस्तावित लागत 2548 करोड़ थी जो महंगाई दर बढ़ने से वर्तमान में 3756.44 करोड़ पहुंच गई है। परियोजना की लागत बढ़ने से यूपी सरकार का अंश भी बढ़ेगा। 

बांध से संबंधित जरूरी कार्रवाई गतिमान
बांध निर्माण के लिए निविदा प्रक्रिया गतिमान है। राज्य सरकार की ओर से संसोधित लागत का प्रस्ताव व्यय वित्त समिति के पास पहुंचा है। राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण और राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड से एनओसी की कार्रवाई चल रही है। तराई और चैकफ्री फीडर के लिए 17.72 हेक्टेयर वनभूमि हस्तांतरण की प्रक्रिया गतिमान है।