छह इंच के पाइप से भेजे गए एंडोस्कोपिक कैमरे में सभी श्रमिक सुरक्षित नजर आए। वॉकी-टॉकी से उनसे बात भी हुई। मजदूरों को इसी पाइप से दवाई, संतरे, केले, रोटी, सब्जी, पुलाव और नमक भेजा गया।
सिलक्यारा सुरंग में 10 दिन से फंसे 41 श्रमिकों की मंगलवार को पहली तस्वीर सामने आई। छह इंच के पाइप से भेजे गए एंडोस्कोपिक कैमरे में सभी श्रमिक सुरक्षित नजर आए। वॉकी-टॉकी से उनसे बात भी हुई। मजदूरों को इसी पाइप से दवाई, संतरे, केले, रोटी, सब्जी, पुलाव और नमक भेजा गया।
इस बीच, श्रमिकों को सुरक्षित निकालने के लिए राष्ट्रीय राजमार्ग और बुनियादी ढांचा विकास निगम लि. ने सुरंग के भीतर से रेस्क्यू पर फोकस बढ़ा दिया है। एमडी महमूद अहमद ने बताया कि बुधवार को रेस्क्यू अभियान की पूरी तस्वीर साफ हो जाएगी। उन्होंने बताया कि पूर्व में 22 मीटर तक भेजे गए 900 मिमी के पाइप के भीतर से 800 मिमी का पाइप टेलीस्कोपिक तकनीक से भेजा जा रहा है।
उन्होंने बताया कि अमेरिकन ऑगर मशीन से ड्रिल का काम शुरू कर दिया गया है। इसकी ड्रिल स्पीड 5 मीटर प्रति घंटा है, लेकिन अड़चनों की वजह से वह इस गति से काम नहीं कर पाए हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि बृहस्पतिवार को मजदूर सुरंग से बाहर निकाल लिए जाएंगे।
बड़कोट सिरे से 8 मीटर तक बनाई सुरंग
निगम के निदेशक प्रशासन अंशु मनीष खल्खो ने बताया, सुरंग के बड़कोट की तरफ वाले सिरे से भी काम शुरू किया है। करीब आठ मीटर तक दो वर्ग मीटर की बचाव सुरंग खोदी जा चुकी है। हालांकि उस सिरे से श्रमिकों तक पहुंचने के लिए करीब 325 मीटर ड्रिल करना पड़ेगा।
पीएम बोले-सभी को बचाना प्राथमिकता: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से श्रमिकों को बचाने के लिए चलाए ज रहे बचाव कार्यों की जानकारी ली। पीएम ने कहा कि श्रमिकों को हर हाल में सुरक्षित निकालना हमारी पहली प्राथमिकता है।
सिलक्यारा हादसे से सबक, अब सुरंग निर्माण के बदलेंगे मानक
उत्तरकाशी के सिलक्यारा में सुरंग हादसे के बाद अब पूरे देश में सुरंग निर्माण के मानक बदलने वाले हैं। भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) ने अंडरग्राउंड वर्क के नए नियम तैयार कर लिए हैं जो जल्द ही लागू होंगे। वहीं दूसरी ओर विशेषज्ञों ने यह माना है कि प्रदेश की सबसे लंबी 4.5 किमी की सिलक्यारा सुरंग में न तो एस्केप टनल का न ही दो किमी दूरी के बाद एडिट एप्रोच का प्रावधान रखा गया।
बीआईएस की नियमावली समिति के चेयरमैन और जियोलॉजिक सर्वे ऑफ इंडिया के पूर्व निदेशक डॉ.पीसी नवानी ने बताया कि अभी तक बीआईएस नियमावली में एस्केप टनल या एप्रोच एडिट जैसी व्यवस्थाएं नहीं हैं। हमने भूटान में 27 किमी की सुरंग बनाई थी, जिसमें हर दो किमी पर एप्रोच एडिट यानी बाहर से जोड़ने वाली एक टनल बनाई गई थी। हम भारत में जो नए नियम बना रहे हैं, उनमें एप्रोच एडिट या एस्केप टनल का कांसेप्ट शामिल करेंगे। ये नियम जल्द लागू होंगे, फिर देश में हर सुरंग में एप्रोच एडिट या एस्केप टनल अनिवार्य होगी।
उन्होंने यह भी माना अभी तक बीआईएस मानकों में बचाव के ये उपाय न होने का लाभ ठेकेदार उठाते रहे हैं। सिलक्यारा में भी उन्होंने एप्रोच एडिट की कमी को स्वीकार करते हुए कहा कि अगर ये व्यवस्था होती तो निश्चित तौर पर उसी दिन मजदूर बाहर आ जाते।