बेटे के कंधों के सितारों से मां की उम्मीद रोशन हो गई है। पति रामधारी अत्री की शहादत के बाद 28 साल की उम्र में सोना देवी ने दोनों बेटों की परवरिश की जिम्मेदारी संभाली थी।
लांस नायक रामधारी अत्री 12 सितंबर 2000 को दुश्मनों से लोहा लेते हुए शहीद हो गए थे। उस समय मेरी उम्र 28 साल की थी। प्रमोद और विनोद छोटे थे। दोनों बेटों की जिम्मेदारी कंधों पर आ गई। पति की पेंशन से बड़ी मुश्किल से गुजारा होता था। शनिवार को छोटा बेटा सेना में लेफ्टिनेंट बना तो उसके कंधों पर जड़े सितारों की चमक में संघर्ष के दिन और सारा दर्द काफूर हो गया।
बेटे ने 23 साल की उम्र में सेना में अफसर बनकर उम्मीदों को पूरा कर दिखाया है। यह कहना है हरियाणा के रोहतक के गांव भालौठ निवासी सोना देवी का। बेटे को देहरादून पासिंग आउट परेड में सेना से कमीशन मिला तो नम आंखों व कांपते होठों से वह यही कह पाईं।
अतीत के आईने में झांकते हुए सोना देवी ने कहा कि पति 23 साल पहले दुश्मनों से लोहा लेते हुए शहीद हुए थे। उस समय अकेला महसूस हुआ था। फिर खुद को मजबूत बनाकर आगे बढ़ी और अपने दोनों बेटों को मां के साथ पिता बनकर पाला। अब दोनों सैनिकों की मां हूं। बड़ा बेटा प्रमोद एयरफोर्स व छोटा सेना में है। विनोद पहले सिपाही पद पर भर्ती हुआ था। उसने सेना में अधिकारी बनने के लिए मेहनत जारी रखी और पढ़ाई कर लेफ्टिनेंट बना। यह हमारे लिए गर्व की बात है।
पिता का सपना और मां की मेहनत सफल
प्रमोद ने बताया कि शनिवार को छोटे भाई विनोद की पासिंग आउट परेड में मां के साथ शामिल हुआ। वहां का नजारा यादगार रहेगा। इस क्षण को कभी नहीं भूल पाएंगे। विनोद के कंधों पर सितारे लगते देख भावुक होने से नहीं रोक पाया। उसने पिता का सपना और मां की मेहनत दोनों को सफल कर दिखाया है।