उत्तराखंड सरकार के दावों और जमीनी हकीकत में भारी फर्क साफ दिख रहा है। सीएचसी, पीएचसी से लेकर जिला अस्पतालों में भी हालात बद से बदतर हैं। कई अस्पताल बगैर डॉक्टर के चल रहे हैं तो कहीं विशेषज्ञ चिकित्सकों की भारी कमी है। जनता सवाल कर रही है कि अगर कमी नहीं है तो डॉक्टर गए कहां? प्रदेश की जनता डॉक्टरों की कमी से त्रस्त है। खासकर पहाड़ के जिलों में यह संकट वर्षों से जस का तस बना हुआ है। जिन संविदा चिकित्सकों के भरोसे पहाड़ के लोगों को थोड़ा बहुत इलाज मिल भी रहा था तो सरकार ने उन्हें संविदा विस्तार देने से यह कहते हुए हाथ खड़े कर दिए हैं कि उत्तराखंड में डॉक्टरों की कमी नहीं हैं। सरकार ने हाईकोर्ट में यही दावा पेश किया है लेकिन कुमाऊं के अस्पतालों की हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है।
मंडल में सृजित 1039 पदों के सापेक्ष 432 रिक्त हैं। कई सीएचसी और पीएचसी डॉक्टरविहीन हैं। पढ़िए पिथौरागढ़, चंपावत, अल्मोड़ा, बागेश्वर, नैनीताल और ऊधमसिंह नगर से संवाद न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट
कहीं भी बाल रोग विशेषज्ञ नहीं: नौ सीएचसी में विशेषज्ञ चिकित्सकों के 47 पद रिक्त हैं। किसी भी केंद्र में महिला और बाल रोग विशेषज्ञ मौजूद नहीं हैं। भिकियासैंण सीएचसी केवल संविदा डॉक्टर के भरोसे है। सीएमओ डॉ. नवीन तिवारी कहते हैं कि लोगों को सुविधाएं देने के प्रयास जारी हैं।
बागेश्वर–
कई केंद्र डॉक्टर विहीन : डॉक्टरों के 107 पद स्वीकृत हैं। इनमें से 31 रिक्त हैं। बागेश्वर एक जिला अस्पताल, तीन सीएचसी और 29 पीएचसी हैं। जिला अस्पताल में 30 में से सात पद खाली हैं। नौ पीएचसी पूरी तरह चिकित्सक विहीन हैं। सीएचसी कांडा, कपकोट और । बैजनाथ में विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी है।
नैनीताल-
यहां भी हालत खराब : डॉक्टरों के 340 पदों में 87 खाली हैं। जिला प्रशासन नैनीताल ने डॉक्टरों की तैनाती के लिए प्रयासरत होने की बात कही है। पीएमएस डॉ. टीके टम्टा ने बताया कि बीडी पांडे में 14 पद रिक्त हैं। इनमें दो बालरोग विशेषज्ञ शामिल हैं।
पिथौरागढ़–
महिला आबादी दो विशेषज्ञों के भरोसे : जिले के 60 से अधिक अस्पतालों में चिकित्सकों के 174 पद हैं इनमें 85 रिक्त हैं। 12 पीजी करने चले गए। 10 लंबे समय से गायब हैं। महिला आबादी को महज दो महिला रोग विशेषज्ञों के भरोसे इलाज मिल रहा है।