नेचर वूमेन्स हेल्थ एंड जेंडर मेडिसिन में छपे ताजा शोध ने पहली बार साबित किया कि महिलाओं में स्तन कैंसर और हृदयरोग के बीच गहरा जेनेटिक लिंक मौजूद है। यह शोध विश्व के 11 देशों के 40 संस्थानों के वैज्ञानिकों द्वारा किया गया और इसमें लगभग 4.2 लाख महिलाओं के डीएनए सैंपल का विश्लेषण किया गया। निष्कर्ष बताते हैं कि वही जीन जो स्तन कोशिकाओं में कैंसर पैदा करते हैं, वे ही हृदयाघात या स्ट्रोक जोखिम बढ़ाते हैं।
ब्रिटेन में कैम्ब्रिज जीनोमिक्स सेंटर, अमेरिका में मेयो क्लीनिक और स्वीडन में करोलिंस्का इंस्टीट्यूट के शोधकर्ताओं ने महिलाओं के जीनोमिक डाटा, ब्लड मार्कर, और हार्मोनल प्रोफाइल का विश्लेषण किया। पाया गया कि स्तन कैंसर से जुड़े बीआरसीए-1 और बीआरसीए-2 जैसे जीन, एलडीएलआर व एपीओई जैसे जीनों के साथ सीधे जैविक अंतःक्रिया करते हैं। मुख्य शोधकर्ता डॉ. एलिना मॉरिस ने कहा, यह है कि महिलाओं में कैंसर और कार्डियक बीमारियों को अलग-अलग समझना एक बहुत बड़ी वैज्ञानिक भूल थी।
शोध की वैज्ञानिक पद्धति
एडवांस जीनोम वाइड एसोसिएशन स्टडी तकनीक से वैज्ञानिकों ने 1.7 करोड़ जीन अनुक्रम का तुलनात्मक अध्ययन किया। यह एक ऐसी वैज्ञानिक तकनीक है जिसमें हजारों-लाखों लोगों के डीएनए की तुलना करके यह पता लगाया जाता है कि कौन-से जीन किस बीमारी, विशेष लक्षण से जुड़े हैं।
अभी महिलाओं को नुकसान
अभी चिकित्सा जगत में स्तन कैंसर व हृदयरोग अलग बीमारियां माने जाते हैं। इससे महिलाओं को तीन स्तरों पर क्षति होती है। पहली-गलत निदान व अधूरा इलाज, दूसरी-दवाओं का दुष्प्रभाव और अनियोजित उपचार और तीसरी- रोकथाम जांच प्रणाली में खामी।
नई खोज से लाभ
इस खोज के बाद मेडिकल को पहली बार यह ठोस आधार मिला है कि महिलाओं के स्वास्थ्य को सिस्टम-आधारित नहीं, नेटवर्क-आधारित तरीके से देखा जाए। इसमें इंटीग्रेटेड स्क्रीनिंग, जीन प्रोफाइलिंग आधारित रोकथाम, व्यक्तिगत उपचार, मानसिक स्वास्थ्य पर परोक्ष लाभ और महिला-विशिष्ट दवा अनुसंधान में प्रगति प्रमुख हैं।
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