रायपुर 01 दिसम्बर।लगभग सात वर्ष पहले बीजापुर जिले के बहुचर्चित सारकेगुड़ा मुठभेड़ को न्यायिक जांच आयोग को फर्जी करार देते हुए कहा है कि नक्सलियों के संदेह में मारे गए सभी 17 आदिवासी निर्दोष थे।
मामले की जांच के लिए गठित उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति वी.के.अग्रवाल की अध्यक्षता वाले एक सदस्यीय जांच आयोग ने राज्य सरकार को सौंपी गई अपनी रिपोर्ट में कहा हैं कि सुरक्षा बलों ने नक्सली बताकर जिन आदिवासियों को मुठभेड़ में मार दिया,वह दरअसल एकतरफा हमला था।मारे गए आदिवासी बैठक कर रहे थे।मारे गए लोगो में नाबालिग बच्चे और महिलाएं भी शामिल थे।इसमें लगभग 10 लोग घायल भी हुए थे जबकि सुरक्षा बलों के छह जवानों के घायल होने का दावा किया गया था।गत 28-29 जून 2012 की रात्रि में हुई इस घटना की जांच के लिए तत्कालीन रमन सरकार द्वारा किया गया था।
आयोग ने आशंका जताई है कि सुरक्षा बलों ने मुखबिरों की सूचना बगैर उसकी पुष्टि किए अचानक मौके पर पहुंचकर अंधाधुंध फायरिंग की,जिसमें बेकसूर लोग मारे गए।आयोग ने रिपोर्ट में सुरक्षा बलों को बेहतर प्रशिक्षण, बुलेट प्रूफ जैकेट, नाइट विजन डिवाइस, ड्रोन आदि सामान उपलब्ध कराने का सुझाव दिया है जिससे कि वे स्वयं को सुरक्षित महसूस कर सकें और विषम परिस्थितियों में भी संतुलन नही खोएं और जल्दबाजी में कोई कदम नही उठाए।आयोग की इस रिपोर्ट को कल विधानसभा में पेश किए जाने की संभावना है।
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