रकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि ऑर्ड-ईवन स्कीम से ईंधन की खपत में 15% की कमी आई है। ऑड-ईवन के दौरान सार्वजनिक परिवहन का इस्तेमाल बढ़ा है।
दिल्ली सरकार ने ऑड-ईवन को सही बताते हुए सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर किया है। सरकार ने एक वैज्ञानिक अध्ययन का हवाला देते हुए कहा कि इसका सकारात्मक प्रभाव पड़ा है। सरकार ने बताया कि इससे सड़कों पर भीड़भाड़ कम हुई है।
सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि ऑर्ड-ईवन स्कीम से ईंधन की खपत में 15% की कमी आई है। ऑड-ईवन के दौरान सार्वजनिक परिवहन का इस्तेमाल बढ़ा है। इस मामले में आज यानी शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करेगा। दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि डीआईएमटीएस रिपोर्ट के निष्कर्षों ने मोटे तौर पर वाहनों द्वारा योगदान किए गए वायु प्रदूषण में कमी के सकारात्मक प्रभाव का संकेत दिया, इसके अलावा दिल्ली की सड़कों पर भीड़ में कमी के साथ-साथ ऑड-ईवन ड्राइव की अवधि के दौरान सार्वजनिक परिवहन की हिस्सेदारी में वृद्धि हुई।
सुप्रीम कोर्ट की ओर ऑड-ईवन पर सवाल उठाए गए थे। सु्प्रीम कोर्ट ने ऑड-ईवन को दिखावा बताया था। प्रदूषण पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने इस फॉर्मूले को लेकर सवाल किया। मामले की सुनवाई कर रहे जस्टिस संजय किशन कौल ने ऑड-ईवन को अवैज्ञानिक करार दिया। जस्टिस कौल ने दिल्ली सरकार से कहा, ‘आप पहले भी ऑड ईवन सिस्टम ला चुके हैं, क्या यह सफल हुआ है, यह सब सिर्फ दिखाने के लिए है।’
दिल्ली में लागू ऑड-ईवन क्या है?
दिल्ली-एनसीआर में बढ़े प्रदूषण के बीच सोमवार को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने उच्च स्तरीय बैठक की थी। बैठक में निर्णय लिया गया कि राजधानी में ऑड-ईवन लागू होगा। पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने जानकारी दी कि 13 से 20 नवंबर के बीच इसे लागू किया जाएगा।
बता दें कि ऑड-ईवन यातायात नियम एक ऐसी प्रणाली है, जिसके तहत ऑड नंबर (1,3,5,7,9) पर खत्म होने वाले पंजीकरण संख्या वाले वाहनों को सप्ताह के ऑड दिनों (13, 15, 17 और 19 नवंबर) पर चलने की अनुमति होती है। ईवन नंबर (0,2,4,6,8) पर समाप्त होने वाली पंजीकरण संख्या वाले वाहनों को सप्ताह के अन्य वैकल्पिक दिनों (नवंबर 14, 16, 18 और 20) में सड़कों पर चलने की अनुमति है।
पहले कब-कब इसे लागू किया गया है?
पिछले कुछ वर्षों में साल के अंत में देश की राजधानी दिल्ली गैस चैंबर बनती रही है। ऐसे समय में दिल्लीवासियों की सांसों पर संकट आता है। राजधानी में पहली बार जनवरी 2016 में और फिर अप्रैल 2016 में अरविंद केजरीवाल वाली आप सरकार ने इस फॉर्मूले को लागू किया था। तब ऑड-ईवन वाहनों से होने वाले प्रदूषण और पार्टिकुलेट मैटर (पीएम) के बढ़ते स्तर को काबू पाने के लिए क्रियान्वित किया गया था। इसके बाद 2017 और 2019 में भी दिल्ली में ऑड-ईवन नियम लागू किया गया था।