विदेश सेवा के लोगों का भाजपा के प्रति और भाजपा का आइएफएस के प्रति लगाव का रिश्ता पुराना है। नरेन्द्र मोदी जब 2014 में प्रधानमंत्री बने तो उन्होंने देश की विदेश नीति को लेकर नया अंदाज पेश किया। इसके जरिये विदेश सेवा विभाग को ज्यादा क्रियाशील व गतिशील बनाया गया। पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने ज्यादातर देश में भारतीय दूतावास उच्चायोग और मिशनों को आम आदमी के लिए खोला।
अमेरिका में भारत के राजदूत रहे तरनजीत सिंह संधू ने मंगलवार को भाजपा की सदस्यता ले ली। अमृतसर में जन्मे व पले-बढ़े संधू को भाजपा वहां से लोस उम्मीदवार बना सकती है। अगर ऐसा होता है तो संधू भारतीय विदेश सेवा (आइएफएस) के दूसरे अधिकारी होंगे, जो इस आम चुनाव में भाजपा की तरफ से मैदान में होंगे।
2022 में विदेश सचिव के पद से सेवानिवृत्त हुए हर्ष शृंगला बंगाल के दार्जिलिंग से इस बार अपना दम ठोक रहे हैं। सेवानिवृत्त होने के बाद से ही वह अपने गृह नगर दार्जिलिंग में डेरा डाल कर बैठे हैं। पिछले छह महीने से वह अपनी पत्नी के साथ मिलकर अपने पक्ष में माहौल बनाने की भी कोशिश कर रहे हैं। दार्जिलिंग भाजपा का पुराना गढ़ है और गृह नगर होने का लाभ भी शृंगला को मिलने की संभावना है। यह चर्चा भी है कि भाजपा विदेश मंत्री एस. जयशंकर को भी किसी लोकसभा सीट से टिकट दे सकती है।
पुराना है नाता
विदेश सेवा के लोगों का भाजपा के प्रति और भाजपा का आइएफएस के प्रति लगाव का रिश्ता पुराना है। नरेन्द्र मोदी जब 2014 में प्रधानमंत्री बने तो उन्होंने देश की विदेश नीति को लेकर नया अंदाज पेश किया। इसके जरिये विदेश सेवा विभाग को ज्यादा क्रियाशील व गतिशील बनाया गया। पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने ज्यादातर देश में भारतीय दूतावास, उच्चायोग और मिशनों को आम आदमी के लिए खोला।
इन मिशनों के जरिये मोदी ने सीधे तौर पर प्रवासी भारतीयों से संवाद की शुरुआत की। इसके साथ ही विदेश मंत्रालय के अंदाज को आक्रामक बनाया गया। मोदी को जब 2019 में दोबारा सरकार बनाने का अवसर मिला तो उन्होंने पूर्व विदेश सचिव (वर्ष 2018 में सेवानिवृत्त) एस. जयशंकर को विदेश मंत्रालय की बागडोर सौंपी।
आज जयशंकर वैश्विक मंच पर सबसे मुखर विदेश मंत्री हैं, जो ना सिर्फ भारत की वैश्विक नीति को साफगोई व धारदार तरीके से पेश करने के लिए पहचाने जाते हैं बल्कि उनकी लोकप्रियता भारत के भीतर भी बढ़ रही है। जयशंकर से पहले पीएम मोदी ने 2017 में अपनी कैबिनेट में विदेश विभाग के पूर्व अधिकारी हरदीप सिंह पुरी को आवास व शहरी विकास मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी थी।
एक बेहद सफल कूटनीतिक करियर के बाद पुरी ने 2014 में भाजपा का दामन थामा था। मोदी के दूसरे कार्यकाल में पुरी को पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस मंत्रालय और शहरी विकास जैसे दो बेहद मंत्रालयों की जिम्मेदारी दी गई है। इस तरह से देखा जाए तो भाजपा में आज भारतीय विदेश सेवा के चार पूर्व अधिकारी जुड़ चुके हैं।
पूर्व आइएफएस अधिकारियों को पहले भी मिला मौका
यह पहला मौका नहीं है, जब किसी सरकार में पूर्व आइएफएस अधिकारियों को बड़ी जिम्मेदारी दी गई हो। डा. मनमोहन सिंह के पहले कार्यकाल (2004-2009) में तीन महत्वपूर्ण मंत्रालयों की जिम्मेदारी पूर्व आइएफएस अधिकारियों ने संभाली थी। इसमें नटवर सिंह विदेश मंत्री थे, जबकि मणिशंकर अय्यर पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस मंत्रालय व पंचायती राज मंत्री थे। मीरा कुमार को समाजिक न्याय और आधिकारिता मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। मनमोहन के दूसरे कार्यकाल (2009-2014) में मीरा कुमार को लोकसभा का अध्यक्ष बनाया गया था। संयुक्त राष्ट्र में महासचिव के तौर पर सेवा दे चुके शशि थरूर भी मनमोहन सरकार में मंत्री रहे हैं।