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जगदलपुर की 14 सदस्यीय टीम पहुंची उत्तराखंड

जगदलपुर के किशोर पारेख ने बताया कि उत्तराखंड के चमोली जिले की बर्फ से घिरे पहाड़ी की चोटी पर 6 मई को तिरंगा फहराया गया। टीम में कुल 14 सदस्यों ने 15 हजार फिट से ज्यादा कि ऊंचाई पर स्थित पांगर्चुल्ला की चोटी पर चढ़ाई करने में सफलता पाई और तिरंगा फहराया।

जगदलपुर शहर की 14 सदस्यीय टीम ने लोगों को जागरूक करने के साथ ही वातावरण के प्रति लगाव को लेकर उत्तराखंड के पहाड़ पर चढ़ तिरंगा फहराया। जगदलपुर के किशोर पारेख ने बताया कि उत्तराखंड के चमोली जिले की बर्फ से घिरे पहाड़ी की चोटी पर 6 मई को तिरंगा फहराया गया। टीम में कुल 14 सदस्यों ने 15 हजार फिट से ज्यादा कि ऊंचाई पर स्थित पांगर्चुल्ला की चोटी पर चढ़ाई करने में सफलता पाई और तिरंगा फहराया।

उन्होंने बताया कि 5-6 मई की रात करीब एक बजे उन्होंने चोटी पर चढ़ना शुरू किया। बेस कैंप से लगभग छह किमी की ऊंची चढ़ाई कर बर्फ से घिरे कई पर्वतों को पार कर दल सुबह लगभग आठ बजे पांगर्चुल्ला पहुंचा। तापमान -7 डिग्री था, लेकिन तेज ठंडी हवाओं के कारण -10 डिग्री का अनुभव दिला रहा था। इस अभियान में युवा, बुजुर्ग व महिलाएं भी शामिल थी। सभी ने पूरे जोश,उत्साह के साथ अपने इस मुश्किल अभियान को सफल बनाया।

उन्होंने आगे कहा कि अभियान के सदस्यों को मौसम की मार भी झेलनी पड़ी। खराब मौसम और बारिश के कारण इस अभियान को एक दिन के लिए टालना भी पड़ा था। अभियान के सदस्यों ने पहले दिन दुगासी से चढ़ाई शुरू की गई। गुलिंग पहुंचकर दल ने वही रात्रि विश्राम किया। अगले दिन गुलिंग से खुल्लारा तक की चढ़ाई गई। यह मार्ग घने जंगलों के बीच से दुर्गम चढ़ाई का था। अंततः छठे दिन दल ने अपना लक्ष्य हासिल किया और 15 हजार फिट से ज्यादा ऊंचाई पर स्थित पांगर्चुल्ला पर चढ़ने में सफलता प्राप्त की।

किशोर पारेख ने इस अभियान को बेहद रोमांचक और यादगार बताया। उन्होंने कहा कि पर्यावरण के प्रति लगाव होने के कारण पिछले काकी समय से उनके मन में हिमालय की किसी चोटी पर ट्रेकिंग करने की इच्छा थी, जो अब पूरी हुई। पर्वतारोही नैना सिंह धाकड़ और मित्र डीएस सोलंकी दोनों ने मुझे इस अभियान के लिए काफी प्रभावित किया। पारेख का कहना था कि यदि हौसला हो तो उम्र बाधा नहीं हो सकती। जज्बा हो तो पहाड़ भी लांघा जा सकता हैं। उम्र के एक पड़ाव के बाद जब लोग घर परिवार में व्यस्त हो जाते हैं या बीमारी से घिर जाते हैं। उस उम्र में भी स्वस्थ शरीर हो तो माइनस डिग्री में भी चढ़ाई हो सकती हैं, मैंने वही प्रयास कर सफलता पाई है।