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आज महाराष्ट्र सरकार को सौंप दिया जाएगा ‘वाघ नख’

वाघ नख एक बाघ के पंजे के आकार का हथियार है, जिसे बुधवार को लंदन के एक म्यूजियम से मुंबई लाया गया। 1659 में बीजापुर सल्तनत के जनरल अफजल को मारने में शिवाजी महाराज ने इसी हथियार का इस्तेमाल किया था।

छत्रपति शिवाजी महाराज ने जिस बाघ के नाखून से बीजापुर सल्तनत के जनरल अफजल खान की जान लेकर अपने शौर्य का परिचय दिया था, उस बाघ के नाखून को अब देश की जनता भी देख पाएगी। एकनाथ शिंदे सरकार की तमाम कोशिशों के बाद इस बाघ के नाखून को लंदन के म्यूजियम से भारत लाया जा रहा है। इसे महाराष्ट्र के सातारा म्यूजियम में रखा जाएगा। शुक्रवार को मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, उप-मुख्यमंत्री देवेंद्र फडवीस और अजित पवार और शिवाजी महाराज के वंशज उदयन राजे की उपस्थिति में इसे महाराष्ट्र सरकार के हवाले कर दिया जाएगा।

वाघ नख एक बाघ के पंजे के आकार का हथियार है, जिसे बुधवार को लंदन के एक म्यूजियम से मुंबई लाया गया। 1659 में बीजापुर सल्तनत के जनरल अफजल को मारने में शिवाजी महाराज ने इसी हथियार का इस्तेमाल किया था। यह राजा की दृढ़ता और वीरता का एक स्थायी और पूजनीय प्रतीक है क्योंकि इसका इस्तेमाल शारीरिक रूप से बड़े प्रतिद्वंद्वी को वश में करने और मारने के लिए किया जाता था। सातारा म्यूजियम में 19 जुलाई को इसका प्रदर्शन किया जाएगा।

महाराष्ट्र के आबकारी मंत्री ने बताया कि सातारा में इस वाघ नख का भव्य स्वागत किया जाएगा। उन्होंने आगे कहा कि लंदन से लाए गए इस हथियार बुलेट प्रूफ कवर में रखा जाएगा। इसे अगले सात महीनों के लिए सातारा के एक म्यूजियम में रखा जाएगा। सातारा के संरक्षक मंत्री ने कहा कि वाघ नख को महाराष्ट्र में लाना प्रेरणादायक है। इसका सातारा में भव्य स्वागत किया जाएगा।

असली वाघ नख सतारा में ही है- इतिहासकार
इतिहासकार ने दावा किया, कि इस समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए लंदन गए मंत्री सुधीर मुनगंटीवार के नेतृत्व में महाराष्ट्र की टीम को यह जानकारी प्रदर्शित करने के लिए कहा गया है। असली वाघ नख सतारा में ही है।

वहीं एक अन्य शोधकर्ता पांडुरंग बलकावड़े ने एक मराठी टीवी चैनल को बताया कि प्रतापसिंह छत्रपति ने 1818 और 1823 के बीच अपने निजी संग्रह से ‘वाघ नख’ अंग्रेज ग्रांट डफ को दिया था, उन्होंने कहा कि डफ के वंशजों ने इसे संग्रहालय को सौंप दिया। हालांकि, इंद्रजीत सावंत ने कहा कि डफ के भारत छोड़ने के बाद प्रतापसिंह छत्रपति ने कई लोगों को ‘वाघ नख’ दिखाया।