उत्तर रेलवे में नई रेलवे लाइनों को बिछाने, सेफ्टी बेहतर करने, रेलवे स्टेशनों के अपग्रेडेशन व यात्री सुविधाओं आदि की वृद्घि के लिए 19,848 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। यह यूपीए सरकार के दस वर्षों के कार्यकाल के बजट की तुलना में 18 गुना अधिक है।
रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव ने यह जानकारी बुधवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए आयोजित प्रेसवार्ता में दी। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए उत्तर रेलवे लखनऊ मंडल के डीआरएम सचिंद्र मोहन शर्मा व पूर्वोत्तर रेलवे के डीआरएम आदित्य कुमार जुड़े रहे। रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि रेलवे को कुल 2.62 लाख करोड़ रुपये का बजट दिया गया है, इसमें 1.08 करोड़ रुपये सेफ्टी के मद में दिया गया है। वर्ष 2004-14 तक के दस वर्ष के कार्यकाल में उत्तर प्रदेश को औसतन 1109 करोड़ रुपये दिए जाते रहे हैं।
वहीं वर्ष 2024-25 में उत्तर प्रदेश में रेलवे के डेवलपमेंट के लिए 19,848 करोड़ रुपये दिए गए हैं, जोकि यूपीए सरकार की तुलना में 18 गुना है। रेलमंत्री ने बताया कि उत्तर प्रदेश में रेलवे का विद्युतीकरण शतप्रतिशत हो गया है। वर्तमान में रेलवे स्टेशनों के विकास से लेकर ट्रैक मेंटीनेंस आदि के 92 हजार करोड़ रुपये की परियोजनाएं चल रही हैं, जिसके लिए भी पैसा दिया गया है। 157 अमृत भारत स्टेशनों का प्रदेश में विकास किया जा रहा है। पिछले दस वर्षों में 1490 आरओबी-आरयूबी बनाए गए हैं। इतना ही नहीं 490 किमी रेलवे ट्रैक का निर्माण प्रतिवर्ष किया गया है। इस लिहाज से दस वर्षों में 4900 किमी ट्रैक बनाया गया है, जबकि स्विट्जरलैंड में रेलवे का कुल नेटवर्क ही पांच हजार किमी का है।
60 प्रतिशत घटे रेल हादसे
रेलमंत्री ने कहाकि रेलवे हादसों की बात की जाए तो इसमें 60 प्रतिशत की कमी दर्ज हुई है। वहीं रेल फ्रैक्चर 85 प्रतिशत तक कम हो गए हैं। इतना ही नहीं पैंट्रीकार की डीप क्लीनिंग पर काम किया जा रहा है, ताकि यात्रियों को गुणवत्तापरक खाना उपलब्ध कराया जा सके।
हिमालयन टनलिंग मेथेड है खास
रेलमंत्री ने कहाकि हिमालय नई पर्वत श्रृंखला है। ऐसे में यहां रेलवे के लिए टनल बनाना आसान नहीं है। ऐसे में रेलवे ने हिमालयन टनलिंग मेथेड विकसित किया है। इससे टनल का डिजाइन पहाड़ के अनुसार बनाया जाता है, जिससे हादसे की आशंका घट जाती है।