छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले के उदयपुर ब्लॉक अंतर्गत दूरस्थ ग्राम खुज्जी में फूड प्वाइजनिंग से एक ही परिवार के पांच सदस्य बीमार हो गए। इनमें 15 वर्षीय बालिका की मौत होने की खबर है। वहीं फूड प्वाइजनिंग से मौत की सूचना मिलने पर स्वास्थ्य अमले ने गांव में स्वास्थ्य कैंप लगाया एवं घर-घर पहुंचकर पीड़ितों की जानकारी ले रहे है।
मृतका के परिवार के अन्य सदस्य खतरे के बाहर हैं। जानकारी के अनुसार, उदयपुर से करीब 30 किमी दूर स्थित ग्राम खुज्जी निवासी नारायण मझवार के परिवारजनों ने शनिवार को भाजी की सब्जी बनाई थी। इसे खाने के बाद परिवार के सभी सदस्य उल्टी-दस्त का शिकार हो गए। मंगलवार को गंभीर रूप से पीड़ित नारायण मझवार की पुत्री फुलमतिया 15 वर्ष की मौत होने की खबर मिल रही है।
वहीं अन्य सदस्यों की हालत भी बिगड़ गई। पंचायत के सचिव व मितानिन की सूचना पर उदयपुर से स्वास्थ्य अमला गांव में पहुंचा एवं पीड़ित नारायण मझवार, उसकी पत्नी बंधई, दो पुत्र आकाश व बैसाखू का उपचार शुरू किया। बुधवार को अंबिकापुर से मेडिकल ऑफिसर वाईके किंडो की टीम भी खुज्जी पहुंची।
गांव में ही कैंप कर उपचार के बाद चारों पीड़ितों की हालत अब खतरे से बाहर है। स्वास्थ्य अमले ने गांव के अन्य घरों में भी जांच की, लेकिन डायरिया के मरीज नहीं मिले। मौसमी बीमारियों के जो पीड़ित मिले, उन्हें दवाएं दे दी गई हैं। उदयपुर बीएमओ डा. डीएम कामरे ने बताया कि पीड़ित नारायण मझवार के परिवार का उपचार अब भी चल रहा है। उन्हें पूरी तरह से स्वस्थ होने में और दो से तीन दिनों का समय लग सकता है।
स्वास्थ्य विभाग की पूछताछ में नारायण मझवार ने बताया कि परिवार के सदस्यों ने भाजी खाई थी। जंगली भाजी की सब्जी के साथ चावल खाया था, जिसके बाद सभी की तबियत बिगड़ी। सभी के उल्टी-दस्त पीड़ित होने के बावजूद तत्काल उनका उपचार नहीं कराया गया। मृतका की एक बहन सुकवारो कस्तूरबा आश्रम उदयपुर में रहती है, जो सुरक्षित है।
मृतका के भाई बैसाखू ने कहा कि उन्होंने बाड़ी की बोदेला भाजी खाई थी, जो गांव के अन्य लोग भी खाते हैं। इसके पूर्व भी वे भाजी खा चुके हैं, लेकिन बीमार नहीं पड़े थे। दो दिनों तक सभी को पेटदर्द के बाद उल्टी-दस्त शुरू हुआ था। स्वास्थ्य अमले ने दो दिनों तक खुज्जी में बारिश के सीजन में जंगली पुटु, खुखड़ी एवं भाजी का सेवन न करने की सलाह दी है। कुछ पुटू व खुखड़ी भी विषाक्त होते हैं, जिनसे फूड प्वाइजनिंग का खतरा रहता है। ग्रामीणों को पानी उबाल कर पीने की भी समझाश दी जा रही है।