पूरे अबूझमाड़ और दंडकारण्य में सुरक्षा बलों के बढ़ते आपरेशन से नक्सली बैकफुट पर हैं। खुद नक्सली भी इसे स्वीकार कर रहे हैं। महाराष्ट्र के गढ़चिरौली से मिले नक्सलियों के पोलित ब्यूरो द्वारा तैयार नोट से इसकी पुष्टि भी होती है। नोट में पोलित ब्यूरो ने नक्सल आंदोलन के सबसे मुश्किल समय से गुजरने और पार्टी गतिविधियों को भरसक गोपनीय रखने की जरूरत बताई गई है।
यहां तक कि बड़े नेताओं और कैडर को लो प्रोफाइल रह कर काम करने और उचित समय का इंतजार करने की सलाह दी गई है। ध्यान देने की बात है कि केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने 31 मार्च 2026 तक देश से नक्सलवाद को पूरी तरह से खत्म करने की प्रतिबद्धता जताई है।
हाल में जवानों पर नक्सलियों ने किया था हमला
वैसे पिछले दिनों नक्सलियों ने पांच साल पहले लगाए गए बारूदी सुरंग में विस्फोट कर डिस्टि्रक्ट रिजर्व गार्ड (डीआरजी) के आठ जवानों और एक चालक की हत्या कर इलाके में अपनी मजबूत पकड़ का संकेत देने की कोशिश की। लेकिन दंडकारण्य के इलाके में जहां कभी नक्सली मोटरसाइकिल पर बेरोकटोक घूमते थे, बंकर में लेथ मशीन के साथ हथियार बनाने का कारखाना बनाने से यह साफ हो गया है कि नक्सलियों के सबसे मजबूत दस्ते बटालियन के इलाके भी अब उनके लिए सुरक्षित नहीं रह गए है। कभी खुंखार नक्सली कमांडर हिडमा इसका प्रमुख हुआ करता था।
पिछले हफ्ते 12 नक्सलियों को मारा गया
पिछले हफ्ते सुरक्षा बलों ने यहां आपरेशन कर 12 नक्सलियों को मार गिराया, वैसे बाद में प्रेस नोट जारी कर खुद नक्सलियों ने स्वीकार किया कि 18 नक्सली मारे गए थे। नक्सल आरपेशन से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि मुठभेड़ के बाद बड़ी संख्या में नक्सलियों के शव बरामद होना भी उनकी कमजोर होती गुरिल्ला आर्मी को स्थिति को दर्शाता है। पहले मुठभेड़ के बाद नक्सली मारे गए अपने लोगों का शव भी लेकर भाग जाते थे, लेकिन अब वे ऐसा करने की स्थिति में है।
बैकफुट पर आ रहे नक्सली
वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि अत्याधुनिक हथियारों की सप्लाई रुकने का असर भी दिखने लगा है। उनके अनुसार मुठभेड़ में मारे जाने के बाद नक्सली शव तो छोड़ दे रहे हैं, लेकिन हथियार लेकर भाग रहे हैं। वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार नक्सलियों के बैकफुट पर आने का सबसे बड़ा सबूत यह है कि पिछले एक साल से वे एक भी आरपेशन सुरक्षा बलों के खिलाफ नहीं कर पा रहे हैं। सारे आपरेशन नक्सलियों के कोर इलाके में घुसकर सुरक्षा बल चला रहे हैं, जिसमें बचाव करते हुए बड़ी संख्या में नक्सली मारे जा रहे हैं।
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