लखनऊ के मशहूर छोटे इमामबाड़े को फिर से दुरुस्त किया जाएगा। इसके जीर्णोद्धार का तरीका प्राचीन ही होगा। जिस विधि से यह इमारत बनाई गई थी।
छोटे इमामबाड़े के मुख्य द्वार की मरम्मत का कार्य पारंपरिक तरीके से होगा। बेल, गुड़ और गोंद को मिलाकर जोड़ाई के लिए मसाला तैयार जाएगा। इसके साथ पुरानी इमारतों में प्रयोग की जाने वाली छोटी ईंट का प्रयोग धरोहर की मजबूती के लिए होगा। जीर्णोद्धार के दौरान धरोहर के मूल ढांचे में किसी तरह का बदलाव नहीं होगा। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के मानकों पर ही मरम्मत कार्य होंगे। स्मार्ट सिटी के तहत होने वाले इन कार्यों की रुपरेखा तैयार कर ली गईं है।
करीब 200 साल पुराने छोटा इमामबाड़ा व इसका मुख्य द्वार दयनीय स्थिति से गुजर रहा है। गेट के अंदर की ईंटें जर्जर हो गई हैं। बरसात के समय इनके गिरने का भय बना रहता है। हाईकोर्ट की फटकार के बाद अब प्रशासन की नींद खुली है। इसके जीर्णोद्धार की तैयारी शुरू कर दी गई है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अनुसार इमामबाड़े के मुख्यद्वार की मरम्मत स्मार्ट सिटी योजना के तहत होनी है। मरम्मत कार्य के लिए प्रशासन ने छह करोड़ से अधिक का बजट पास कर दिया है। निजी संस्था की तरफ से जल्द की कार्य शुरू होगा।
पुरातत्व विभाग के अधिकारियों ने बताया कि जीर्णोद्धार में पारंपरिक मेटेरियल का प्रयोग होना है। इसमें सीमेंट की जगह पारंपरिक स्वदेशी मसाले का प्रयोग होगा। इमामबाड़े के मुख्यद्वार में कुछ जगह होल हो गए हैं। उन्हें भरने के लिए पुरानी इमारत की ईंटें जो उसके मिलाप की हों, उन्हें लगाया जाएगा। पारंपरिक मेटेरिलय में लाल बालू, चूना और अन्य चीजों का प्रयोग होगा।
पूरी तरह अतिक्रमण मुक्त होगा हेरिटेज जोन
हेरिटेज जोन के करीब डेढ़ किमी क्षेत्रफल को पूरी तरह से अतिक्रमण मुक्त किया जाएगा। बड़ा इमामबाड़ा, रुमी दरवाजा, घंटा घर, पिक्चर गैलरी, छोटा इमामबाड़ा व अन्य धरोहर स्थलों के आसपास किसी भी तरह की पार्किंग नहीं होगा। नगर आयुक्त इंद्रजीत सिंह ने बताया कि हेरिटेज जोन को अतिक्रमण मुक्त बनाने के लिए अवैध दुकानें हटाई जाएंगी।
हेरिटेज जोन के बाहर ही पार्किंग की व्यवस्था होगी। यहां आने वाले पर्यटकों को किसी तरह की परेशानी न हो, इस पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।
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