विश्वविद्यालयों सहित देश भर के उच्च शिक्षण संस्थानों में कुलपति और प्रोफेसर की भर्ती ने नए प्रस्तावित नियमों को अंतिम रूप देने से पहले राज्यों के साथ भी चर्चा होगी। तमिलनाडु और केरल जैसे राज्यों की ओर से इस मुद्दे पर उठ रहे विरोध के स्वर को देखते हुए शिक्षा मंत्रालय व यूजीसी ने मसौदे को अंतिम रूप से देने से पहले सभी राज्यों की राय जानने के संकेत दिए है।
28 फरवरी तक दें अपने सुझाव
माना जा रहा है कि राज्यों के साथ यह चर्चा एक-एक कर होगी। जिसमें राज्यों से सुझाव मंगाए जाएंगे। इस बीच प्रस्तावित मसौदे पर आम लोगों से भी सुझाव लेने की समय सीमा को बढ़ा दिया गया है। अब कोई भी मसौदे को लेकर 28 फरवरी तक अपने सुझाव दे सकेंगे।
अब तक मसौदे पर सुझाव देने की अंतिम समय सीमा पांच फरवरी तक ही थी। हालांकि अब तक जिस तरह के संकेत मिल रहे है, उनमें यूजीसी अपने मसौदे को लेकर किसी भी तरह के बदलाव के पक्ष में ही है।
रिश्तेदारों और करीबियों की नियुक्ति पर लगेगी रोक
यूजीसी का मानना है कि इन नए नियमों से कुलपति और प्रोफेसर की नियुक्ति में और पारदर्शिता आएगी। साथ ही उच्च शिक्षण संस्थानों ने एनईपी आने के बाद हुए बदलावों के तहत प्रोफेसर और सहायक प्रोफेसर की नियुक्ति हो सकेगी। हाल ही में राज्यसभा में केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने इसे लेकर उठाए गए सवालों पर जवाब देते हुए कहा कि इन नए नियमों से कुलपति जैसे शीर्ष पदों पर रिश्तेदारों और करीबियों को नियुक्ति पर रोक लगेगी।
केरल और तमिलनाडु ने जताई आपत्ति
अब इन पदों पर गुणवत्ता के आधार पर ही चयन होगा। विश्वविद्यालयों में कुलपति और प्रोफेसर की नियुक्ति से जुड़े इस मसौदे को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग(यूजीसी) ने 6 जनवरी को सार्वजनिक किया था। साथ ही इसे लेकर सभी हितधारकों से पांच फरवरी तक अपने सुझाव देने को कहा था।
मसौदे को लेकर तमिलनाडु और केरल ने आपत्ति जताई। साथ ही इसे लेकर एक प्रस्ताव भी पारित किया और उसे शिक्षा मंत्रालय को भेजा है। दोनों ही राज्यों ने अपने साथ विपक्ष शासित दूसरे राज्यों को जोड़ने की मुहिम छेड़े हुए है। इनमें कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश, तेलंगाना आदि शामिल है।
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