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रघुराम राजन ने नोटबंदी पर सरकार को समर्थन से किया इंकार

नई दिल्ली 03 सितम्बर।भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने साफ किया हैं कि नोटबंदी के मोदी सरकार के फैसले का उन्होने बिल्कुल समर्थन नही किया।

श्री राजन ने अपनी किताब ‘आई डू व्हाट आई डू’ में नोटबंदी से जुड़े कुछ खुलासे किए हैं। इसमें राजन ने स्पष्ट किया है कि वो नोटबंदी के समर्थन में बिल्कुल नहीं थे।क्योंकि उनका मानना था कि नोटबंदी के फैसले से अल्पकाल में होने वाला नुकसान लंबे वक्त में इससे होने वाले फायदों पर बहुत भारी पड़ेगा।

श्री रघुराम राजन की इस किताब में आरबीआई गवर्नर के तौर उनके विभिन्न भाषणों का संग्रह है। किताब में सरकार और उनके रिश्तों को लेकर बात भी की गई है।किताब में लिखा गया है कि राजन के गवर्नर रहते आईबीआई से कभी भी नोटबंदी का फैसला लेने के लिए नहीं कहा गया था। हालांकि उनके इस बयान से अब ये साफ हो गया है कि बीते साल आठ नंवबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा नोटबंदी के ऐलान से पहले ही बडे़ नोटों को हटाने का काम शुरू हो गया था।पूर्व गवर्नर वर्तमान में शिकागो की एक यूनिवर्सिटी में अर्थशास्त्र पढ़ा रहे हैं।

उन्होंने बताया कि एक साल तक महज इसलिए चुप थे क्योंकि वो अपने उत्तराधिकारी के जनता के साथ शुरुआती संवाद में दखल नहीं देना चाहते थे।किताब में राजन ने लिखा है, ‘बीते साल फरवरी में नोटबंदी मामले में उनसे राय मांगी गई थी। जिसपर उन्होंने मौखिक रूप से प्रतिक्रिया दी थी। नोटबंदी पर असहमति जताने के बाद उनसे नए नोट तैयार करने के लिए कहा गया था। हालांकि आरबीआई ने नोट तैयार कर सरकार को सौंप दिए थे। इसके बाद सरकार ने इसपर निर्णय करने के लिए समिति का गठन कर दिया। समिति में आरबीआई के डिप्टी गवर्नर को शामिल किया गया था।’ इससे साफ है कि राजन ने खुद इन बैठकों में शामिल होने की इच्छा नहीं जताई।