आज के समय में दूध के बिना किसी की भी सुबह नहीं होती। अधिकतर लोगों की सुबह की शुरुआत दूध वाली चाय की चुस्की से होती है। शहरों में रहने वाले लोग अधिकतर पन्नी वाले दूध का ही इस्तेमाल करते हैं। क्योंकि शहरों में बहुत कम ही संभावना होती है कि कोई ताजा दूध दे जाए।
पन्नी वाले दूध का प्रचलन आज नहीं बहुत पहले ही आया था। आज हम उसी इतिहास की बात करें कि आखिर भारत में पन्नी वाला दूध कब आया था और किस कंपनी ने सबसे पहले भारत में पन्नी में दूध पैक करके मार्केट में उतारा था।
ये कहानी बहुत ही रोचक है। पन्नी में दूध को पैक करके बेचने की कला ने एक नया बिजनेस शुरू करने का रास्ता खोल दिया। जिस कंपनी ने इसकी शुरुआत की आज लगभग हर दूसरे घर में उसी का दूध जाता है। शायद आप उस कंपनी के बारे में जानते भी होंगे।
किस कंपनी ने भारत में सबसे पन्नी में पैक किया था दूध
अमूल (Amul) का नाम तो आप सभी ने सुना ही होगा! इस कंपनी ने भारत में सफेद क्रांति जिसे दुग्ध क्रांति भी कहा जाता है कि शुरुआत की थी। साल 1955 में अमूल ने पहली बार टेट्रा पैक में दूध बेचना शुरू किया। यह एक अत्याधुनिक पैकेजिंग थी।
फिर आगे चलकर 1960 के दशक में अमूल ने दूध (Amul Milk) को पन्नी में पैक करके बेचना शुरू किया। इसलिए यह कहा जा सकता है कि अमूल ही वो कंपनी है जिसने भारत में सबसे पहले दूध को पन्नी में पैक करके बेचना शुरू किया था।
अमूल ने दूध को पन्नी में पैक करके मानो क्रांति लाने का काम कर दिया था। क्योंकि इसी के बाद से धीरे-धीरे करके दूध एक दूर-दूर तक पन्नी में पैक होकर एक शहर से दूसरे शहर का दौरा करने लगा था।
पन्नी में दूध को पैक करके अमूल ने दूध की शेल्फ लाइफ को बढ़ाने का काम तो किया ही साथ ही साथ उसने किसानों की आय को भी बढ़ाने का काम किया।
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