कभी जंगलों में भटककर नक्सली गतिविधियों में शामिल रहने वाला एलमागुंडा निवासी सोड़ी हुंगा आज अपने नए पक्के घर में सुरक्षित जीवन जी रहा है। वर्षों से कच्चे और असुरक्षित घर का सपना प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के तहत पूरा हुआ।
भय से विश्वास तक
नक्सली जीवन में असुरक्षा और मौत का साया हमेशा साथ रहा। लेकिन आत्मसमर्पण के बाद सोड़ी हुंगा ने नया रास्ता चुना। शासन की पुनर्वास योजनाओं का लाभ पाकर उन्हें ₹1,20,000 की सहायता से पक्का मकान मिला।
जंगल से आशियाने तक
एलमागुंडा का इलाका दुर्गम और नक्सल प्रभावित है। कठिन चुनौतियों और सीमित सुविधाओं के बावजूद परिवार की मदद से उन्होंने अपने आशियाने का सपना पूरा कर दिखाया।
नई पहचान, नया जीवन
अब उनके सिर पर मजबूत छत है और जीवन में सम्मान है। सोड़ी हुंगा का कहना है पहले मैं नक्सली गतिविधियों में शामिल था, जहाँ हर पल जान का खतरा था। लेकिन आज मेरे परिवार के पास सुरक्षित घर है। यह नया जीवन है, नया विश्वास है।
सफलता की मिसाल
आत्मसमर्पित नक्सली का पक्का मकान न सिर्फ पुनर्वास की सफलता की कहानी है, बल्कि यह संदेश भी देता है कि सरकार की योजनाएँ समाज की मुख्यधारा से जोड़ने में कारगर साबित हो रही हैं।
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