यूरोपियन फ्री ट्रेड एसोसिएशन (एफ्टा) के साथ पिछले साल मार्च में भारत ने ट्रेड एंड इकोनॉमिक पार्टनरशिप एग्रीमेंट (टेपा) किया था जिस पर एक अक्टूबर से अमल होने जा रहा है। इसके साथ ही एफ्टा में शामिल स्विट्जरलैंड, नार्वे, आइसलैंड व लिस्टेंस्टिन जैसे चार देशों में अब भारतीय वस्तुओं का निर्यात बिना शुल्क के या काफी कम शुल्क पर किया जा सकेगा।
टेपा के तहत ये देश अगले 15 सालों में भारत में 100 अरब डॉलर का निवेश भी करेंगे जिससे 10 लाख नौकरियां निकलेंगी। पहले दस साल में 50 अरब डॉलर तो उसके बाद के पांच साल में और 50 अरब डॉलर का निवेश किया जाएगा। इन देशों के साथ व्यापार समझौता पर बुधवार से अमल होने से भारतीय खाद्य वस्तुओं के साथ जेम्स व ज्वैलरी, गारमेंट, लेदर आइटम, फुटवियर, इंजीनियरिंग गुड्स, समुद्री उत्पाद, स्पोर्ट्स गुड्स व खिलौने, केमिकल्स उत्पाद, प्लास्टिक उत्पाद, इलेक्ट्रॉनिक्स व सॉफ्टवेयर जैसे आइटम के निर्यात को प्रोत्साहन मिलेगा।
स्विट्जरलैंड की घड़ी होगी सस्ती
आर्किटेक्ट, आईटी, एकाउंटेंसी व अन्य सेक्टर के प्रोफेशनल्स को भी इन देशों में काम करने का मौका मिलेगा। स्विट्जरलैंड की घड़ी व चॉकलेट जैसे आइटम पर शुल्क में कटौती की गई है जिससे ये वस्तुएं भारत में अब पहले के मुकाबले कम दाम पर उपलब्ध होंगी। लेकिन सोना, कृषि पदार्थ, डेयरी, सोया, फार्मा जैसे संवेदनशील आइटम के शुल्क में कोई छूट नहीं दी गई है।
आर्थिक जानकारों का कहना है कि स्विट्जरलैंड व नार्वे समेत इन चार देशों की अर्थव्यवस्था का आकार भले ही छोटा है, लेकिन इन देशों की प्रति व्यक्ति आय काफी अधिक है जिससे यहां वस्तुओं की बिक्री की संभावना काफी अधिक है। स्विट्जरलैंड की प्रति व्यक्ति आय एक लाख डॉलर से अधिक तो नार्वे की 90,000 डॉलर है। व्यापार समझौते के बाद भारतीय किसानों को इन देशों में बासमती व गैर बासमती चावल, ग्वार गम, दाल, अंगूर, आम, सब्जी व मिलेट्स, काजू व अन्य प्रोसेस्ड आइटम के निर्यात का मौका मिलेगा।
निर्यातकों का कहना है कि अमेरिका में भारतीय वस्तुओं पर 50 प्रतिशत का शुल्क लगाने के बाद गारमेंट, फुटवियर, जेम्स व ज्वैलरी जैसे आइटम के निर्यात प्रभावित होने की आशंका है, लेकिन एक अक्टूबर से एफ्टा देशों में शुल्क मुक्त निर्यात की सुविधा मिलने से इन देशों में निर्यात बढ़ने की पूरी उम्मीद है।
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