कोरबा की एसईसीएल कॉलोनी में रहने वाले कर्मचारियों और उनके परिजनों को लंबे समय से दूषित पानी सप्लाई किया जा रहा है। स्थिति यह है कि कई परिवारों के सदस्य पेट और त्वचा संबंधी बीमारियों से ग्रसित हो रहे हैं। बावजूद इसके, एसईसीएल प्रबंधन की ओर से कोई ठोस कदम अब तक नहीं उठाया गया है।
स्थानीय निवासियों का कहना है कि संबंधित विभाग के अधिकारियों और मुख्य महाप्रबंधक की लापरवाही के कारण यह समस्या लगातार बनी हुई है। सूत्रों के अनुसार, पानी की शुद्धिकरण प्रक्रिया में उपयोग होने वाली आवश्यक सामग्री को प्रबंधन द्वारा समय पर उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है, जिसके चलते कॉलोनी में गंदा और अस्वच्छ पानी सप्लाई हो रहा है।
इस गंभीर समस्या को लेकर कॉलोनीवासियों और क्षेत्र के पार्षद सुशील गर्ग और शैलेंद्र सिंह ने प्रबंधन को शिकायतें सौंपी हैं। शिकायत के बाद प्रबंधन ने दो दिन में समाधान का आश्वासन दिया था, लेकिन हफ्तों बाद भी पानी की गुणवत्ता में कोई सुधार नहीं किया गया।
वार्ड पार्षद सुशील गर्ग ने बताया कि इस समस्या को लेकर सीसीएल के अधिकारियों के साथ बैठक हुई और वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट का निरीक्षण भी किया गया। जहां काफी गंदगी पाई गई। ट्रीटमेंट में सुविधाओं का अभाव था। जिन्हें जल्द सुध लेने की बात अधिकारियों के द्वारा कही गई थी।
कॉलोनीवासियों ने आरोप लगाया है कि प्रबंधन की उदासीनता और गैरजिम्मेदार रवैये के कारण कर्मचारी परिवारों को रोजाना दूषित पानी पीने को मजबूर होना पड़ रहा है। पार्षदों के निरंतर प्रयासों और याद दिलाने के बावजूद अब तक साफ पानी की व्यवस्था नहीं की गई है।
एसईसीएलएल के वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट के स्टाफ ऑफिसर नीलगिरी पटेल ने बताया कि इंटेकवेल बैठक पाइपलाइन बेचने की योजना चल रही है। लगातार हो रही बारिश के कारण जहां से पानी सप्लाई होता है। वहां दिक्कतें आ रही थी। फिलहाल, बीच में पानी सप्लाई थोड़ा ठीक नहीं था। अभी हाल ही में सुधार लिया गया है। जो भी कमी है उसे बहुत जल्द पूरा कर लिया जाएगा। लोगों ने चेतावनी दी है कि अगर जल्द ही स्वच्छ जल आपूर्ति बहाल नहीं की गई, तो वे आंदोलन करने को मजबूर होंगे और इसकी पूरी जिम्मेदारी एसईसीएल प्रबंधन की होगी।
वहीं मिली जानकारी के मुताबिक, एसईसीएल में संसाधन की कमी है। पानी डालने वाला कैमिकल, एलम, पीएससी पाउडर, चूना, सोडा बिलचिंग पाउडर, सामान उपलब्ध नहीं है। जिसके चलते पानी साफ सप्लाई नहीं हो पा रहा है। अधिकारियों को चाहिए कि गंभीरता से ध्यान दें।