रायपुर, 26 फरवरी।छत्तीसगढ़ बायो फ्यूल विकास प्राधिकरण के साथ भाभा परमाणु अनुसंधान केन्द्र ट्राम्बे मुम्बई से गोबर से विद्युत उत्पादन की आधुनिक तकनीक निसरगु्रना के हस्तांतरण के लिए आज यहां एमओयू हुआ।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस मौके पर कहा कि राज्य के गौठानों में क्रय किए जा रहे गोबर से स्व-सहायता समूहों की ग्रामीण महिलाएं बिजली बनाएंगी।गौठानों में गोबर एवं कृषि अपशिष्ट से बिजली एवं जैव ईंधन के उत्पादन के लिए संयंत्र लगाए जाएंगे।उन्होंने कहा कि पिछले तीन सालों में छत्तीसगढ़ ने कृषि के क्षेत्र में तेजी से प्रगति करते हुए पूरे देश को रास्ता दिखाया है। कृषि और किसानों की बेहतरी के लिए कई नए कदम उठाए गए हैं और नए-नए नवाचार हुए है।किसानों की आय में बढ़ोत्तरी के लिए फसल उत्पादन एवं गुणवत्ता बढ़ाने तथा मूल्य संवर्धन करने और उनके सुरक्षित भंडारण पर जोर दिया है।
उन्होने राज्य में खाद्य विकिरण केन्द्र की स्थापना के लिए बोर्ड ऑफ रेडियेशन एवं आइसोटोप टेक्नोलॉजी (बीआरआईटी) परमाणु ऊर्जा विभाग भारत सरकार एवं छत्तीसगढ़ राज्य बीज कृषि विकास निगम के मध्य हुए समझौते पर प्रसन्नता जताते हुए कहा कि इस आधुनिक तकनीक के जरिए खाद्य पदार्थों विशेषकर फल, सब्जी और दालों को जल्दी से खराब होने से बचाने में और किसानों को बेहतर मूल्य दिलाने में मदद मिलेगी। छत्तीसगढ़ के कृषि उत्पादन एवं लघु वनोपजों को देश-दुनिया से मार्केट में जगह और अच्छा मूल्य मिलेगा।
श्री बघेल ने वैज्ञानिको को बधाई और शुभकामनाएं देते हुए कहा कि वे जनजीवन से जुड़ी समस्याओं के निदान के लिए लगातार प्रयासरत है। ग्लोबल वार्मिंग और पर्यावरण की देश-दुनिया के सामने चुनौती का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि वैदिक काल से हमारी परंपरा प्रकृति से लेने और फिर उसे वापस लौटाने की रही है। छत्तीसगढ़ राज्य में बीते तीन सालों में इस परंपरा को मजबूती के साथ हम आगे बढ़ा रहे है। गोधन न्याय योजना के माध्यम से हमने पैरादान की परंपरा की शुरूआत की है। इससे खेतों में पराली जलाने और कार्बन उत्सर्जन पर रोक लगी है। कार्यक्रम को कृषि मंत्री रविन्द्र चौबे एवं मुख्यमंत्री के सलाहकार प्रदीप शर्मा ने भी सम्बोधित किया।