भारतीय सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने मंगलवार को वैश्विक शांति मिशनों के सामने अभूतपूर्व चुनौतियों को साझा किया। उन्होंने कहा कि 56 से अधिक सक्रिय संघर्षों और 19 देशों की संलिप्तता के बीच वैश्विक व्यवस्था एक नाजुक मोड़ पर है।
नई दिल्ली में आयोजित संयुक्त राष्ट्र सैन्य योगदानकर्ता देशों (UNTCC) के प्रमुखों के सम्मेलन में उन्होंने बदलती भू-राजनीतिक परिस्थितियों और गैर-राज्य तत्वों के बढ़ते प्रभाव पर चिंता जताई है।
जनरल द्विवेदी ने कहा कि हाइब्रिड युद्ध, विघटनकारी तकनीकों और गलत सूचनाओं के प्रसार ने पारंपरिक युद्ध की सीमाओं को धुंधला कर दिया है। इन चुनौतियों का सामना करने के लिए शांति सैनिकों को एकजुट, तेज और लचीला होना होगा।
Peace Force की बहुआयामी भूमिका
सेना प्रमुख ने शांति सैनिकों की भूमिका को एक सैन्य प्रदाता से कहीं अधिक बताया। जनरल द्विवेदी ने कहा, “शांति सैनिक न केवल सुरक्षा प्रदान करते हैं, बल्कि वे कूटनीतिज्ञ, तकनीकी उत्साही, और संघर्ष क्षेत्रों में राष्ट्र निर्माण करने वाले भी हैं। नीला हेलमेट (ब्लू हेलमेट) संयुक्त राष्ट्र मिशनों को एकजुट करने वाला गोंद है, जो गैर-सरकारी संगठनों और अन्य संस्थानों के साथ सहयोग को सुगम बनाता है।”
उन्होंने भारत के योगदान पर प्रकाश डालते हुए कहा कि भारत ने 51 शांति मिशनों में लगभग 3,00,000 सैनिक तैनात किए हैं। वर्तमान में भारत 11 में से 9 सक्रिय मिशनों में भाग ले रहा है।
भारत का वैश्विक शांति में योगदान
जनरल द्विवेदी ने भारत के ‘वसुधैव कुटुंबकम’ और ‘विश्व बंधु’ के दर्शन को दोहराते हुए कहा कि भारत सभी का मित्र है। उन्होंने कहा, “यह सम्मेलन भारत में आयोजित करना न केवल गर्व की बात है, बल्कि वैश्विक शांति के लिए हमारी साझा प्रतिबद्धता को मजबूत करने का अवसर है।”
14 से 16 अक्टूबर तक नई दिल्ली में आयोजित UNTCC सम्मेलन में 30 से अधिक देशों के वरिष्ठ सैन्य नेतृत्व हिस्सा ले रहे हैं। यह सम्मेलन सहयोग, अंतर-संचालनीयता और स्वदेशी तकनीकों के उपयोग पर केंद्रित है ताकि शांति मिशन अधिक प्रभावी और भविष्य के लिए तैयार हों।
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