दक्षिण अफ्रीका में 20वें जी20 शिखर सम्मलेन का आयोजन हुआ है। जोहान्सबर्ग में दुनिया भर के दिग्गज नेताओं का जमावड़ा लगा है। वहीं, जी20 के मंच से सभी देशों ने मिलकर जॉइंट डिक्लेरेशन जारी किया है, जिसमें किसी भी देश को ताकत का गलत इस्तेमाल करके धमकी न देने की बात कही गई है।
जी20 देशों के फाइनल डिक्लेरेशन में आतंकवाद की आलोचना से लेकर जलवायु परिवर्तन समेत नस्ल, भाषा और धर्म के आधार पर भेदभाव न करने की अपील की गई है। हालांकि, अमेरिका ने इसपर आपत्ति जताई है। मगर, इसके बावजूद सभी देशों ने मिलकर इस डिक्लेरेशन को हरी झंडी दिखा दी है।
जी20 देशों का संदेश
दरअसल संयुक्त राष्ट्र के चार्टर के अनुसार, किसी भी देश को दूसरे देश की संप्रभुता और अखंडता पर चोट करने या उसकी राजनीतिक आजादी पर कब्जा करने की धमकी नहीं देना चाहिए। जी20 देशों ने भी इसी पर जोर दिया है, जिसे रूस, इजरयाल और म्यांमार के लिए छिपा हुआ संदेश माना जा रहा है।
अमेरिका ने जताई आपत्ति
अमेरिका अगले साल जी20 शिखर सम्मलेन को होस्ट करने वाला है। ऐसे में अमेरिका की मौजूदगी के बिना जी20 डिक्लेरेशन पास होने पर वाशिंगटन ने नाराजगी जाहिर की है। अमेरिका का कहना है कि दक्षिण अफ्रीका सुचारू रूप से जी20 की अध्यक्षता हस्तांतरित नहीं करना चाहता है। खासकर डिक्लेरेशन में जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर अमेरिका ने ऐतराज दर्ज किया है।
ट्रंप ने नहीं लिया हिस्सा
बता दें कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने इस सम्मलेन में हिस्सा नहीं लिया था। इसपर जी20 देशों का कहना है, “जी20 किसी एक देश पर निर्भर नहीं है। किसी ऐसे देश की गैरमौजूदगी के आधार पर जी20 को रोका नहीं जा सकता है, जिसे पहले से निमंत्रण दिया गया था। यह सम्मेलन सभी 21 सदस्यों के बारे में है।”
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