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मोदी ने नोटबंदी की तरह अब एसआईआर में भी जनता को खड़ा कर दिया लाइनों में–बैज

रायपुर 24 नवंबर।प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने आरोप लगाया है कि केंद्र की मोदी सरकार एसआईआर (SIR) प्रक्रिया के नाम पर आम जनता को उसी तरह लाइन में खड़ा कर रही है, जैसे नोटबंदी के दौरान किया गया था।

     श्री बैज ने आज यहां जारी बयान में कहा कि लोग अपना रोज़मर्रा का काम छोड़कर नागरिकता साबित करने और मतदाता सूची में अपना नाम सुरक्षित रखने की चिंता में परेशान घूम रहे हैं।उन्होने कहा कि चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली भी सवालों के घेरे में है और दशकों से मतदान कर रहे मतदाताओं तक को खुद को प्रमाणित करने के लिए मशक्कत करनी पड़ रही है। “भाजपा अपनी सत्ता बचाने के लिए पूरे देश को लाइन में खड़ा कर रही है,” उन्होंने कहा।

   कांग्रेस अध्यक्ष ने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग ने आंगनबाड़ी सहायिकाओं और कार्यकर्ताओं को बिना किसी प्रशिक्षण के बीएलओ बनाकर फील्ड में भेज दिया है। उनके अनुसार, बीएलओ खुद फार्म भरने की जानकारी से भ्रमित हैं, जिसके चलते कई मतदाता प्रपत्र ठीक से भरे नहीं जा पा रहे हैं।

उन्होंने बताया कि विवाहिता महिलाओं के मामले में आयोग के नियम स्पष्ट हैं कि 2003 की मतदाता सूची में माता-पिता का नाम मान्य होगा, लेकिन जानकारी के अभाव में कई बीएलओ पति की जानकारी भरकर फॉर्म स्वीकार कर रहे हैं। ऐसे में आयोग को स्पष्ट करना चाहिए कि क्या ये फॉर्म निरस्त नहीं किए जाएंगे।

  श्री बैज ने एसआईआर फॉर्म की ऑनलाइन और ऑफलाइन प्रक्रिया पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि ऑनलाइन एसआईआर में सिर्फ आधार नंबर से प्रक्रिया पूरी हो रही है, जबकि ऑफलाइन फॉर्म में 2003 की मतदाता सूची में परिजनों का नाम अनिवार्य कर दिया गया है।

  उन्होंने मांग की कि आयोग स्पष्ट करे कि ऑनलाइन फार्म स्वीकार होने के बाद क्या पुनः ऑफलाइन फार्म जमा करने की जरूरत पड़ेगी या नहीं।

   श्री बैज ने दावा किया कि आयोग 97% घरों तक गणना पत्रक पहुंचाने की बात कह रहा है, जबकि ज़मीनी स्थिति बिल्कुल अलग है। उनके मुताबिक ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में 25% घरों तक भी गणना पत्रक नहीं पहुंचे हैं।इसके अलावा, कई घरों में अधूरे पत्रक मिलने की शिकायतें भी आ रही हैं—कहीं एक सदस्य का है, तो कहीं दो सदस्यों का पत्रक गायब है।

   प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने यह भी आरोप लगाया कि आरक्षित सीटों की संख्या कम करने के लिए आरक्षित वर्गों के मतदाताओं के नाम सूची से काटे जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि बीएलओ पर भाजपा नेताओं द्वारा दबाव डालने और उनके काम में हस्तक्षेप करने की भी शिकायतें लगातार मिल रही हैं।