
नई दिल्ली 27 दिसम्बर।महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) को लेकर कांग्रेस ने मोदी सरकार के खिलाफ आक्रामक रुख अपनाते हुए 5 जनवरी से देशभर में ‘मनरेगा बचाओ अभियान’ शुरू करने का ऐलान किया है।
पार्टी का दावा है कि मनरेगा को समाप्त करने का फैसला सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लिया, जिसमें न तो ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान से परामर्श किया गया और न ही कैबिनेट में कोई चर्चा हुई।
कांग्रेस की शीर्ष नीति निर्धारण इकाई कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) की बैठक में मनरेगा पर विस्तार से चर्चा हुई। बैठक में शामिल 91 नेताओं ने देशव्यापी जनांदोलन खड़ा करने की शपथ ली। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में सोनिया गांधी, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी, महासचिव केसी वेणुगोपाल, जयराम रमेश, शशि थरूर, कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया, तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी, हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू सहित कई वरिष्ठ नेता मौजूद रहे। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा बैठक में शामिल नहीं थीं।
बैठक के बाद मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि कांग्रेस 5 जनवरी से मनरेगा को केंद्र में रखकर पूरे देश में बड़ा आंदोलन शुरू करेगी। उन्होंने कहा कि मनरेगा कोई साधारण योजना नहीं, बल्कि संविधान से मिला काम का अधिकार है और पार्टी इसकी हर हाल में रक्षा करेगी। अभियान का विस्तृत कार्यक्रम अगले एक-दो दिनों में जारी किया जाएगा।
कार्य समिति ने संकल्प लिया कि ग्रामीण मजदूरों के सम्मान, रोजगार, मजदूरी और समय पर भुगतान के अधिकार के लिए एकजुट होकर संघर्ष किया जाएगा। साथ ही मांग-आधारित रोजगार, ग्राम सभा के अधिकार और पंचायती राज व्यवस्था की रक्षा की जाएगी। कांग्रेस नेताओं ने मनरेगा से गांधी जी का नाम हटाने और मजदूरों के अधिकार को “खैरात” में बदलने की किसी भी कोशिश का लोकतांत्रिक तरीके से विरोध करने का भी संकल्प दोहराया।
लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने कहा कि मनरेगा सिर्फ एक योजना नहीं, बल्कि काम के अधिकार पर आधारित एक विचार था, जिससे करोड़ों लोगों को न्यूनतम मजदूरी और पंचायतों को वित्तीय व राजनीतिक मजबूती मिली। उन्होंने आरोप लगाया कि मोदी सरकार अधिकारों की अवधारणा और संघीय ढांचे पर हमला कर रही है तथा राज्यों से संसाधन छीनकर सत्ता और वित्तीय व्यवस्था का केंद्रीकरण कर रही है।
राहुल गांधी ने दावा किया कि मनरेगा को खत्म करने का फैसला सीधे प्रधानमंत्री कार्यालय से लिया गया है, जिससे देश में “वन मैन शो” चलने का संकेत मिलता है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस इस फैसले का पुरजोर विरोध करेगी और उन्हें भरोसा है कि पूरा विपक्ष सरकार के खिलाफ एकजुट होगा।
उल्लेखनीय है कि संसद ने 18 दिसंबर को विपक्ष के हंगामे के बीच ‘विकसित भारत–जी राम जी विधेयक, 2025’ को मंजूरी दी थी, जिसे राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की स्वीकृति के बाद कानून का रूप मिल चुका है। यह नया अधिनियम 20 साल पुराने मनरेगा की जगह लागू होगा।
बैठक में कुछ नेताओं ने पार्टी संगठन में विकेंद्रीकरण की भी पैरवी की। वहीं, कांग्रेस अध्यक्ष खरगे ने अपने संबोधन में आरोप लगाया कि मोदी सरकार ने बिना किसी अध्ययन, मूल्यांकन या राज्यों से परामर्श के नया कानून थोप दिया है। उन्होंने इसे तीन कृषि कानूनों की तरह बताया और कहा कि इस फैसले के खिलाफ देशव्यापी आंदोलन जरूरी है, जैसा कि 2015 में भूमि अधिग्रहण कानून के मुद्दे पर हुआ था।
बैठक के दौरान बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों पर हमलों का मुद्दा भी उठा। कांग्रेस अध्यक्ष खरगे और शशि थरूर ने इन घटनाओं पर चिंता जताते हुए निंदा की और कहा कि इससे पूरा देश चिंतित है।
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