नई दिल्ली 07 फरवरी।राष्ट्रीय संकट प्रबंधन समिति(एनसीएमसी) ने आज उत्तराखंड में ग्लेशियर टूटने से आई प्राकृतिक आपदा पर समीक्षा बैठक की।कैबिनेट सचिव राजीव गौबा ने बैठक की अध्यक्षता की।
ग्लेशियर टूटने से ऋषिगंगा नदी में बाढ़ आ गई है। ऋषिगंगा स्थित 13.2 मेगावॉट क्षमता वाली पनबिजली परियोजना इस बाढ़ में बह गई है। तपोवन में धौलीगंगा नदी पर बनी एनटीपीसी की पनबिजली परियोजना को भी बाढ़ से भारी नुकसान हुआ है। धौलीगंगा अलकनंदा की सहायक नदी है।
श्री गौबा ने संबंधित एजेंसियों को राज्य प्रशासन के साथ सहयोग करते हुए उसे सभी आवश्यक सहायता उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है।उन्होंने कहा कि सभी लापता लोगों तथा सुरंगों में फंसे मजदूरों का तुरंत पता लगाकर उन्हें सुरक्षित निकालने का काम प्राथमिकता के आधार पर किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि हालात सामान्य होने तक स्थिति पर कड़ी नजर रखी जानी चाहिए तथा बचाव और राहत कार्य जारी रखे जाने चाहिए। उत्तराखंड के मुख्य सचिव ने वीडियो कांफ्रेंस के जरिए हालात का जायजा लिया और बचाव तथा राहत कार्यों के बारे में जानकारी ली।
बैठक में बताया गया कि निचले इलाकों को बाढ़ से फिलहाल कोई खतरा नहीं है। आसपास के गांव भी सुरक्षित हैं। इसके बावजूद केंद्र और राज्य सरकार की एजेंसियों को सतर्कता बरतने को कहा गया है। हिमस्खलन से जुड़ी घटनाओं पर नजर रखने वाली डी आर डी ओ की टीम को दुर्घटना स्थल पर निगरानी के लिए भेजा गया है। एन टी पी सी के प्रबंध निदेशक को प्रभावित इलाके में तुरंत पहुंचने के लिए कहा गया है।
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