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बिहार के तीन शख्सियत को पद्म पुरस्कार से नवाजे जाने की घोषणा , जानें..

74वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर भारत सरकार ने पद्म पुरुस्कारों की घोषणा कर दी। बिहार के तीन शख्सियत को पद्म पुरस्कार से नवाजे जाने की घोषणा हुई है, जिनमें सुपर 30 के संस्थापक व गणितज्ञ आनंद कुमार भी इस सम्मान से सम्मानित होंगे। आनंद कुमार को साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में पद्मश्री से नवाजा गया है। उनके साथ नालंदा के कपिलदेव प्रसाद को कला के क्षेत्र में यह सम्मान दिया गया। उन्होंने बावन बूटी कला को एक पहचान दी है, उनके द्वारा इस कला से निर्मित साड़ियां काफी पसंद की जाती हैं। कपिलदेव प्रसाद 15 साल की उम्र से ही बुनकरी के काम से जुड़े हैं। 55 सालों से बुनकरी का काम करने वाले कपिलदेव प्रसाद ने कई लोगों को इसकी ट्रेनिंग देकर कुशल बनाया है। आज भी वे लोगों को बावन बूटी कला की ट्रेनिंग दे रहे हैं।

पेपरमेसी आर्टिस्ट हैं सुभद्रा देवी

वहीं मधुबनी की सुभद्रा देवी को भी कला के क्षेत्र में विशिष्ट योगदान के लिए पद्मश्री सम्मान दिया गया। सुभद्रा देवी पेपरमेसी आर्टिस्ट हैं। उन्होंने बचपन में ही अपने घर में पेपरमेसी का काम होते देखा। जिसके बाद वो इससे गुड़िया और खिलौने बनाने लगी। यहीं से उन्होंने इस कला को सीखा और इसे लोगों तक पहुंचाया। बिहार के आनंद कुमार, कपिलदेव प्रसाद और सुभद्रा देवी को पद्मश्री से सम्मानित करने पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने तीनों को बधाई दी है। आनंद कुमार जाने-माने गणितज्ञ हैं, जिन्होंने कमजोर वर्ग के प्रतिभाशाली बच्चों को आइआइटी की तैयारी कराई और वे इसमें सफल होते चले गए। उन्हें सुपर थर्टी वाले आनंद कुमार के नाम से जाना जाता है। उन्होंने ‘सुपर थर्टी’ नाम का संस्थान खोला, जिसमें उन्होंने गरीब प्रतिभावान बच्चों को आइआईटी की तैयारी करवाई है। आनंद कुमार के जीवन से प्रेरित होकर ‘सुपर 30’ नाम की फिल्म भी बन चुकी है। आनंद कुमार के शिक्षा के क्षेत्र में प्रयास को देश सहित विदेशों में भी सराहना मिल चुकी है। वे विदेश के कई संस्थान में लेक्चर दे चुके हैं।

आनंद कुमार ने कहा-मेरे पिता आसमान से देख रहे हैं

आनंद कुमार ने पद्मश्री मिलने पर सोशल मीडिया पर पोस्ट कर अपनी खुशी जाहिर की। उन्होंने लिखा कि’ भारत सरकार ने मुझे पद्मश्री से सम्मानित की घोषणा की है, मुझे लगा कि आसमान से मेरे पिताजी स्वर्गीय राजेंद्र प्रसाद मुझे आसमान से देख रहे हैं और कह रहे हैं कि बेटा अभी तू और आगे बढ़, अभी तेरी मंजिल बहुत दूर है। अपने अंतिम सांस तक ऐसा प्रयास कर ताकि मेरे देश के किसी भी मां-बाप को कष्ट न उठाना पड़ा कि पैसे के अभाव में उनकी बच्चों की पढ़ाई न छूट जाए’ अंत में अपनी खुशी जाहिर करते हुए आनंद कुमार ने इस सम्मान से सम्मानित करने के लिए भारत सरकार को धन्यवाद दिया है। इसके साथ ही उन्होंने कठिन समय में उनका साथ देने वालों का भी आभार जताया।