आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने सोमवार को बताया कि पिछले 12 महीनों में यूपीआई (एकीकृत भुगतान इंटरफ़ेस) के माध्यम से भुगतान में तेजी से बढ़ोतरी हुई है। पिछले वर्ष फरवरी में दैनिक यूपीआई लेनदेन 24 करोड़ थे, इस वर्ष फरवरी तक यह आंकड़ा 50 फीसदी बढ़कर 36 करोड़ तक पहुंच गया है। मूल्य के संदर्भ में, इन लेनदेनों की कीमत 6.27 लाख करोड़ रुपये है, जबकि फरवरी 2022 में यह राशि 5.36 लाख करोड़ रुपये थी। इस तरह इसमें भी 17 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई है।
2016 में UPI की हुई थी शुरूआत
दास आरबीआई मुख्यालय में डिजिटल भुगतान जागरूकता सप्ताह के शुभारंभ पर पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। उन्होंने यह भी बताया कि पिछले तीन महीनों के दौरान देश में कुल डिजिटल भुगतान 1,000 करोड़ लेनदेनों से अधिक रहे हैं। UPI को 2016 में शुरू किया गया था, तब से यह भुगतान के लिए सबसे लोकप्रिय और पसंदीदा भुगतान माध्यम बनकर उभरा है। देश में 75 फीसदी डिजिटल भुगतान यूपीआई से होते हैं। उन्होंने इस पर खुशी जताई कि आज भारत की भुगतान प्रणालियों के बारे में पूरे विश्व में बात की जा रही है और कई देश हमारी सफलता को दोहराने के इच्छुक हैं।
28 फरवरी को नेफ्ट से सर्वाधिक सवा तीन करोड़ लेनदेन
आरबीआई गवर्नर ने यह भी बताया कि हाल ही में (90,000 उत्तरदाता शामिल करके किए गए) देशव्यापी डिजिटल भुगतान सर्वेक्षण में खुलासा हुआ कि 42 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने डिजिटल भुगतान का उपयोग किया है। उन्होंने यह भी बताया कि 28 फरवरी को एनईएफटी (नेशनल इलेक्ट्रॉनिक फंड ट्रांसफर) के माध्यम से सर्वाधिक 3.18 करोड़ लेनदेन हुए। साथ ही आरबीआई ने 48 करोड़ से अधिक कार्ड टोकन बनाए हैं और आज 26 करोड़ स्पर्श बिंदुओं पर डिजिटल भुगतान स्वीकार किए जा रहे हैं।
गांवों को डिजिटल गांवों में बदलेगा आरबीआई
गवर्नर ने इस अवसर पर ‘हर भुगतान डिजिटल’ मिशन भी शुरू किया। इस अभियान के तहत डिजिटल भुगतान को और अधिक प्रोत्साहित किया जाएगा। आरबीआई गर्वनर ने यूपीआई के साथ-साथ भारत बिल भुगतान प्रणाली (बीबीपीएस), नेशनल इलेक्ट्रॉनिक टोल कलेक्शन (NETC) प्रणाली और नेशनल ऑटोमेटेड क्लियरिंग हाउस (NACH) प्रणाली की सफलताओं का भी जिक्र किया।