कर्नाटक में चुनाव अभियान में विभिन्न राजनीतिक दलों के शीर्ष नेताओं ने लोगों को लुभाने की कोशिश की। प्रचार अभियान में जहां भाजपा के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 19 जनसभाएं की तो राहुल गांधी 12 दिनों तक राज्य में रहे।
कर्नाटक में 10 मई को होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए हाई-वोल्टेज चुनाव प्रचार सोमवार को समाप्त हो गया। इस अभियान में विभिन्न राजनीतिक दलों के शीर्ष नेताओं ने लोगों को लुभाने की कोशिश की। प्रचार अभियान में जहां भाजपा के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 19 जनसभाएं और छह रोड शो किए तो कांग्रेस की ओर से राहुल गांधी ने 12 दिनों तक राज्य में डेरा डाला।
चुनाव प्रचार में हुआ वार-पलटवार
चुनावी प्रचार के दौरान राज्य की सभी तीन प्रमुख राजनीतिक दलों भाजपा, कांग्रेस और जनता दल-सेक्युलर (JDS) ने बहुमत हासिल करने के लिए मतदाताओं को लुभाने के साथ-साथ एक-दूसरे पर कई आरोप लगाने की पूरी कोशिश की है।
पीएम से सीएम तक ने किया प्रचार
कर्नाटक चुनाव जीतने के लिए प्रचार में भाजपा ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी। पीएम मोदी से लेकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और कई भाजपा शासित राज्यों के सीएम ने पार्टी की जीत के लिए कई सभाएं और रैलियां की।प्रचार के अंतिन दिन शाह ने डोड्डाबल्लापुरा में मेगा रोड शो किया। केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि हम पूर्ण बहुमत या एक तिहाई सीटों के साथ चुनाव जीतेंगे।
भाजपा ने इस तरह झोंकी ताकत
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह सहित शीर्ष नेतृत्व ने पार्टी के लिए प्रचार किया, भाजपा ने लोगों का समर्थन पाने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी।
इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 19 जनसभाओं को संबोधित किया और छह रोड शो किए। अमित शाह ने 16 जनसभाएं और 14 रोड शो किए। बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने 10 जनसभाएं और 16 रोड शो किए।
29 मार्च को चुनावों की घोषणा से पहले, पीएम मोदी ने कई सरकारी योजनाओं और परियोजनाओं का अनावरण करने के लिए जनवरी से सात बार राज्य का दौरा किया था और कई लाभार्थी बैठकों को संबोधित किया था।
भाजपा नेताओं के अनुसार, पीएम मोदी की चुनावी रैलियों ने उनके अभियान को बड़े पैमाने पर बढ़ावा दिया और चुनावों में पार्टी को इतिहास रचने में मदद मिलेगी।
कुल मिलाकर, भाजपा के राष्ट्रीय नेताओं ने कुल 206 जनसभाएं और 90 रोड शो किए, जबकि इसके राज्य के नेताओं ने 231 जनसभाएं और 48 रोड शो किए।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी पार्टी के लिए प्रचार करने और चुनावों की रणनीति बनाने के लिए बड़े पैमाने पर राज्य का दौरा किया।
वहीं, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा सहित उत्तर प्रदेश के योगी आदित्यनाथ, असम के हिमंत बिस्वा सरमा, मध्य प्रदेश के शिवराज सिंह चौहान, गोवा के प्रमोद सावंत जैसे भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्री भी कर्नाटक में पार्टी को जीत दिलाने पहुंचे। साथ ही केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण, एस जयशंकर स्मृति ईरानी, नितिन गडकरी सहित अन्य ने भी चुनाव प्रचार के लिए राज्य के विभिन्न हिस्सों में यात्रा की।
कांग्रेस ने स्थानीय मुद्दों को उठाया
कांग्रेस ने आमतौर पर स्थानीय मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया और इसका अभियान भी शुरू में राज्य के नेताओं द्वारा चलाया गया। चुनाव प्रचार के आधे समय के बाद कांग्रेस के बड़े नेताओं की एंट्री हुई, जिसमें पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने मोर्चा संभाला।
कांग्रेस के पूर्व सीएम सिद्धारमैया और प्रदेश अध्यक्ष डीके शिवकुमार जैसे दिग्गज नेताओं के साथ कांग्रेस 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले भाजपा को कड़ी टक्कर देने में लगी है। कांग्रेस पार्टी कर्नाटक जीतकर अपने कार्यकर्ताओं को इस साल के अंत में मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान जैसे राज्यों के चुनाव में एक बड़ा बूस्ट देना चाहेगी।
गौरतलब है कि कांग्रेस के लिए चुनाव परिणाम राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा की प्रभावशीलता का संकेत दे सकता है जो दिसंबर में समाप्त हुई थी। यह चुनाव पार्टी अध्यक्ष खरगे के लिए भी व्यक्तिगत रूप से महत्वपूर्ण होने वाला है, क्योंकि वो कर्नाटक के एक प्रमुख नेता हैं।
कांग्रेस ने अपने शीर्ष राज्य और केंद्रीय नेताओं द्वारा 99 जनसभाएं और 33 रोड शो किए हैं।
इस चुनाव प्रचार में भाजपा सरकार पर हमला करने का कांग्रेस का मुख्य एजेंडा केवल भ्रष्टाचार और 40 प्रतिशत कमीशन के आरोपों के इर्द गिर्द घूमा। हालांकि, कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने अपनी रैलियों में अदाणी का मुद्दा भी खूब उठाया।
जेडीएस ने भी खूब किया प्रचार
जेडीएस ने भी एच डी कुमारस्वामी के नेतृत्व में प्रचार अभियान चलाया। इस अभियान में पार्टी संरक्षक देवेगौड़ा भी अपनी उम्र संबंधित बीमारियों के बावजूद शामिल हुए। भाजपा और कांग्रेस के प्रभुत्व वाले राज्य में पार्टी खुद को पुनर्जीवित करने के लिए संघर्ष कर रही है। 2018 में, इसने कांग्रेस के साथ चुनाव के बाद गठबंधन करके किंगमेकर की भूमिका निभाई।
10 को वोटिंग और 13 को रिजल्ट
कर्नाटक विधानसभा के लिए 10 मई को मतदान होगा और वोटों की गिनती 13 मई को होगी। बता दें कि सरकार बनाने के लिए बहुमत का आंकड़ा 113 सीटों का है। भाजपा जो सत्ता विरोधी लहर का सामना कर रही है, राज्य में दूसरे कार्यकाल पर नजर गड़ाए हुए है और उसने पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता बरकरार रखने का भरोसा जताया है। वहीं, कांग्रेस भी जीत की ताल ठोक रही है।
गौरतलब है कि लिंगायत और वोक्कालिगा मतदाता चुनाव में अहम भूमिका निभाएंगे। लिंगायत आबादी का 17 प्रतिशत और वोक्कालिगा 11 प्रतिशत हैं।