समस्याओं के समाधान के लिए राहत विभाग ने 450 एडब्ल्यूएस और 2000 एआरजी लगा रहा है। इनके लिए 80 कर्मचारी भी तैनात किए जाएंगे। विभाग ने 142.16 करोड़ रुपये का बजट जारी किया है।
प्रदेश में अगले मानसून सत्र से तहसील और ब्लॉक स्तर पर मौसम की सटीक पूर्व जानकारी मिलेगी। वहीं गांवों में वर्षा का एकदम सही माप भी सामने आएगा। राहत विभाग ने प्रदेश में 450 आटोमैटिक वेदर स्टेशन और 2000 आटोमैटिक रेन गेज लगाने के लिए कार्यादेश जारी कर दिया है।
प्रदेश में मौसम पूर्वानुमान व बारिश अनुमान से जुड़े सिस्टम की कमी की वजह से मौसम की पूर्व से सटीक जानकारी नहीं मिल पाती है। इससे कई बार ग्रामीण और शहरी इलाकों में तेज बरसात और आंधी के कारण नुकसान होता है। अतिवृष्टि की स्थिति में लोगों को समय पर सुरक्षित स्थान पर पहुंचाने में भी मुश्किल होती है। इस तरह की समस्याओं के समाधान के लिए राहत विभाग ने 450 एडब्ल्यूएस और 2000 एआरजी लगा रहा है। इनके लिए 80 कर्मचारी भी तैनात किए जाएंगे। विभाग ने 142.16 करोड़ रुपये का बजट जारी किया है। ये संयंत्र लगने के बाद कमोबेश हर क्षेत्र में मौसम और बरसात की सटीक जानकारी मिल सकेगी।
बवंडर से पहले मिल जाएगी सूचना
राहत विभाग की ओर से लखनऊ, अलीगढ़, झांसी और आजमगढ़ में लगेंगे डाप्लर वेदर राडार लगाए जाएंगे। यह राडार बारिश की तीव्रता, हवा की गति के नापने के साथ बवंडर की दिशा भी बताएंगे। विभाग का मानना है कि इससे आपदा से होने वाले नुकसान को रोकने में मदद मिलेगी। चार जिलों में राडार लगाने के लिए 26.12 करोड़ रुपये मंजूर किए गए हैं।