सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को कई बड़े मामलों की सुनवाई हुई। अदालत ने सरदार सरोवर बांध से नर्मदा नदी में पानी छोड़ने के मामले में केंद्र सरकार से जवाब मांगा। अदालत इस मामले में 12 जनवरी को फिर से सुनवाई करेगी।
सुप्रीम कोर्ट ने सरदार सरोवर बांध से नर्मदा नदी में पानी छोड़े जाने के मामले में केंद्र सरकार से जानकारी मांगी है। गुरुवार को उच्चतम न्यायालय ने केंद्र को यह सूचित करने का निर्देश दिया कि क्या सरदार सरोवर बांध से नर्मदा नदी के निचले इलाकों में पर्याप्त पानी छोड़ने का मुद्दा नर्मदा नियंत्रण प्राधिकरण को भेजा गया है। अदालत ने कहा कि मामले की सुनवाई 12 जनवरी 2024 को होगी।
वकील ने चार हफ्ते का समय मांगा
शीर्ष अदालत में न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने पर्यावरण एवं वन मंत्रालय से चार सप्ताह के भीतर मामले की जानकारी देने को कहा। पीठ ने कहा, “प्रतिवादी के वकील ने यह निर्देश देने के लिए चार सप्ताह का समय मांगा है कि क्या मामला नर्मदा नियंत्रण प्राधिकरण को भेजा गया था।” कोर्ट ने पूछा कि अगर नर्मदा नियंत्रण प्राधिकरण को मामला सौंपा गया है तो इसका परिणाम क्या होगा।
NGT के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती
शीर्ष अदालत नर्मदा प्रदूषण निवारण समिति और गुजरात के भरूच नागरिक परिषद की तरफ से दायर एक अपील पर सुनवाई कर रही थी। इसमें नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) के 2019 के आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसने यह कहते हुए याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया कि मामले पर फैसला करने के लिए पहले से ही एक ट्रिब्यूनल काम कर रही है।
नर्मदा के निचले इलाकों में पानी छोड़ने की मांग
एनजीटी ने कहा था कि नदी से संबंधित मुद्दों को देखने के लिए दो निकाय – जल विवाद न्यायाधिकरण और नर्मदा नियंत्रण प्राधिकरण – पहले ही गठित किए जा चुके हैं। याचिका में सरदार सरोवर बांध से नर्मदा नदी के निचले इलाकों में पर्याप्त पानी छोड़ने की मांग की गई थी।
पर्यावरण को भारी नुकसान, 1500 क्यूसेक पानी छोड़ने की अपील
याचिकाकर्ता ने एनजीटी से सरदार सरोवर बांध से नदी के निचले इलाकों में दैनिक आधार पर 1,500 क्यूसेक पानी छोड़ने के लिए तत्काल प्रावधान करने का निर्देश देने की भी मांग की थी। दावा किया गया कि नदी तल के सूखने से पर्यावरण, कृषि और स्थानीय उद्योगों को भारी नुकसान हो रहा है।
निचले क्षेत्रों के लिए छोड़ा गया पानी पर्याप्त नहीं
याचिकाकर्ताओं ने दावा किया कि नर्मदा नदी एक छोटी धारा में सिमट गई है क्योंकि बांध से केवल 600 क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा है। याचिका में नर्मदा और जल संसाधन, जल आपूर्ति और कल्पसार विभाग द्वारा लिखे गए एक पत्र का हवाला दिया गया था। इसमें कहा गया था कि नदी के निचले क्षेत्रों के लिए छोड़ा गया पानी पर्याप्त नहीं था। याचिकाकर्ता ने तत्काल हस्तक्षेप की जरूरत बताई।