बदायूं जिले में बुखार का कहर थम नहीं रहा। रोजाना बुखार से लोगों की जान जा रही है। उधर, स्वास्थ्य विभाग लार्वा नष्ट कराने और कैंप लगाकर लाल-पीली गोलियां देने तक ही सीमित है। बीते 24 घंटों में बुखार से किशोरी समेत 12 लोगों की मौत हो गई।
बदायूं में स्वास्थ्य विभाग की लचर व्यवस्था व सुस्त कार्यप्रणाली के चलते बुखार का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा है। प्राइवेट लैबों की जांच में डेंगू की पुष्टि हो रही है, लेकिन स्वास्थ्य विभाग डेंगू से मौत होना नहीं मान रहा है। हालांकि मृतकों के परिजन डेंगू से ही जान जाने का दावा कर रहे हैं। 24 घंटे में जिले में 12 और लोगों की बुखार से मौत हो गई। बुखार अब तक 240 लोगों की जान ले चुका है। स्वास्थ्य विभाग ने सिर्फ छह लोगों की मौत डेंगू से मानी है। जिले में अब तक 408 लोग डेंगू से संक्रमित हो चुके हैं।
शहर की आवास विकास कॉलोनी में रहने वाली ब्रजवाला (70) वर्ष को कई दिनों से बुखार आ रहा था। निजी अस्पताल में भर्ती कराने पर डॉक्टर ने जांच के बाद डेंगू होने की पुष्टि की। हालत में कुछ सुधार होने पर परिजन उन्हें घर ले आए। शुक्रवार को अचानक हालत खराब होने पर उन्हें जिला अस्पताल लेकर पहुंचे, जहां डॉक्टर ने मृत घोषित कर दिया।
बिसौली तहसील क्षेत्र के गांव मोहम्मदपुर मई निवासी अवनीश गुप्ता (55) ने बुखार आने पर प्राइवेट लैब में जांच कराई तो डेंगू होने की पुष्टि हुई। परिवार के लोग निजी अस्पताल में उनका इलाज करा रहे थे। बृहस्पतिवार की रात उनकी मौत हो गई। इसी गांव के रहने वाले विनोद कटिया (52) को सात दिन पहले बुखार आया था। उनका बिसौली में इलाज चल रहा था। इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई।
इसी गांव के सोनपाल मौर्य (22) को पांच दिन पहले बुखार आया तो परिवार के लोगों ने उनकी जांच कराई। जांच में डेंगू संक्रमित पाए जाने पर परिजनों ने निजी अस्पताल में भर्ती कराया। इलाज के दौरान बृहस्पतिवार रात उनकी मौत हो गई। गांव के नेत्रपाल मौर्य (50) बाहर रहकर मेहनत मजदूरी करते थे। वहां बुखार आने के बाद जांच में डेंगू की पुष्टि हुई। बृहस्पतिवार को उनकी भी मौत हो गई।
गांव के ही महावीर वाल्मीकि (54) की डेंगू चपेट में आकर शुक्रवार को जान चली गई। उघैती गर्वी निवासी सत्यपाल के भाई कमल को डेंगू हो गया था। उनका इलाज रुदायन में चल रहा था। वह उनको देखने के लिए रुदायन गए थे। लौटने के बाद सत्यपाल की हालत बिगड़ गई। परिजनों ने डॉक्टर को दिखाया तो जांच में प्लेटलेट्स बहुत कम पाई गईं। इलाज शुरू होने से पहले ही सत्यपाल की मौत हो गई।
रुदायन में भी बेकाबू हुआ बुखार
रुदायन नगर में इन दिनों डेंगू और बुखार का प्रकोप चरम पर है। नगर निवासी राजपाल उर्फ पप्पू ने बताया कि उनके छह वर्षीय पुत्र अजय को तेज बुखार आया था। इसके बाद उसकी इलाज के दौरान शुक्रवार को मौत हो गई। नगर के ही श्रीनिवास रस्तोगी ने बताया कि उनकी बेटी नंदिनी (14) को चार दिन पहले तेज बुखार आया था। इलाज के दौरान शुक्रवार को उसकी मौत हो गई।
जगत ब्लाक क्षेत्र के गांव आमगांव निवासी रामबेटी (45) को बुखार आया था। जांच में डेंगू की पुष्टि होने के बाद परिवार के लोग उनका इलाज करा रहे थे। बृहस्पतिवार को उनकी मौत हो गई। इसी गांव के जामुन सिंह (55) को बुखार आने पर डेंगू की जांच कराई गई। जांच में संक्रमित पाए जाने पर परिवार वाले उनको उझानी के निजी अस्पताल ले गए, जहां शुक्रवार दोपहर उनकी मौत हो गई।
उझानी के अब्दुल्लागंज निवासी मीना साहू (40) को चार पांच दिन से बुखार आ रहा था। शुक्रवार चार बजे बदायूं निजी अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई। गांव में कई मौतें हो चुकी हैं। हर में बुखार के मरीज चारपाई पर पड़े हैं।
मोहम्म्दपुर मई गांव में 15 दिन में 16 लोगों की मौत
बिसौली तहसील क्षेत्र के मोहम्मदपुर मई गांव में एक पखवाड़े में 16 लोगों की डेंगू की चपेट में आकर मौत हो चुकी है। लगातार मौतें होने से गांव के लोग भयभीत हैं। गांव में लगे गंदगी के ढेर संक्रमण को दावत दे रहे हैं। जिम्मेदार तमाशा देख रहे हैं। 24 घंटे में ही पांच लोगों की मौत से गांव में हड़कंप मचा हुआ है।
मलेरिया विभाग ने नष्ट कराया लार्वा
मलेरिया विभाग ने ब्लॉक वजीरगंज के ग्राम हरनाथपुर में लार्वा नष्ट कराने के लिए अभियान चलाया। मलेरिया निरीक्षक डॉ. पूजा भदौरिया ने टीम के साथ ग्रामवासियों को लार्वा न पनपने देने के प्रति जागरूक किया। पंफलेट के बांटकर संचारी रोगों से बचाव एवं नियंत्रण की जानकारी दी।
स्वास्थ्य विभाग की टीम ने कैंप लगाकर मरीजों की जांच की। इसमें आठ मरीजों में मलेरिया पीवी तो एक मरीज मलेरिया पीएफ पॉजिटिव पाया गया। एलाइजा जांच में 10 मरीज डेंगू संक्रमित मिले। स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार, अब जिले में एलाइजा जांच में डेंगू संक्रमित मरीजों की संख्या 408 हो गई है।
सीएमओ ने डेंगू से मौतें नकारी
सीएमओ डॉ. प्रदीप वार्ष्णेय ने बताया कि गांव-गांव लगातार कैंप लगाए जा रहे हैं। लोगों को जागरूक किया जा रहा है कि बुखार आने पर सरकारी अस्पताल में आकर एलाइजा से डेंगू की जांच कराएं लेकिन लोग प्राइवेट अस्पतालों में जाकर गलत दवा ले रहे है जिससे लोगों की जान जा रही है। जिले में जितने भी डेंगू के मरीज मिले सभी को दवा देकर उपचार किया गया है। डेंगू से जिले में मौत नहीं हो रही है।