नई दिल्ली 16 अप्रैल। उच्चतम न्यायालय ने पूर्व सांसदों को दी जाने वाली पेंशन, यात्रा भत्ता और अन्य सुविधाओं को चुनौती देने वाली जनहित याचिका खारिज कर दी है।
न्यायमूर्ति जे. चेलामेश्वर और न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की पीठ ने पिछले महीने की सात तारीख को इस जनहित याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा था।एक स्वैच्छिक संगठन लोक प्रहरी द्वारा दायर याचिका में कहा गया था कि सांसदों का कार्यकाल समाप्त होने के बाद भी उन्हें दी जाने वाली पेंशन और अन्य सुविधाओं से संविधान के अनुच्छेद चैदह के तहत समानता के अधिकार का उल्लंघन होता है।
याचिकाकर्ता की दलील थी कि संसद के सदस्य न होने के बावजूद माननीयों को पेंशन एवं अन्य भत्ते दिये जाते हैं जो संविधान के अनुच्छेद 14 में वर्णित समानता के अधिकार का उल्लंघन है। केंद्र सरकार ने, हालांकि पूर्व सांसदों को दिये जाने वाले पेंशन एवं भत्तों को न्यायोचित ठहराया था तथा कहा था कि सांसद न रहने के बावजूद माननीयों को अपने क्षेत्र में जाना पड़ता है और स्थानीय जनता से मिलना जुलना पड़ता है।
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