संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) से खरीदे गए कच्चे तेल के लिए भारत ने रुपये में पहला भुगतान कर दिया। अपनी 85 प्रतिशत से अधिक तेल जरूरतों को पूरा करने के लिए भारत आयात पर निर्भर है। आपको बता दें कि भारत ने जुलाई में यूएई के साथ रुपये में भुगतान के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे।
संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) से खरीदे गए कच्चे तेल के लिए भारत ने रुपये में पहला भुगतान कर अपनी मुद्रा को वैश्विक स्तर पर ले जाने की दिशा में कदम बढ़ा दिया है। अधिकारियों ने कहा है कि भारत अन्य तेल आपूर्तिकर्ता देशों के साथ भी इसी तरह के रुपया भुगतान सौदों की कोशिश में लगा है। दरअसल, रुपये में भुगतान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लागू करना एक प्रक्रिया है और फिलहाल इसके लिए कोई लक्ष्य निर्धारित नहीं किया गया है।
अपनी 85 प्रतिशत से अधिक तेल जरूरतों को पूरा करने के लिए भारत आयात पर निर्भर है। इसके लिए उसे बड़े पैमाने पर डॉलर में भुगतान करना होता है। हालांकि पिछले साल से भारत ने तेल की खरीद का भुगतान डॉलर के बजाय रुपये में करने की व्यवस्था शुरू की है और इस दिशा में आरबीआई ने भी कदम उठाए हैं। भारत ने जुलाई में यूएई के साथ रुपये में भुगतान के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे।
इंडियन आयल कारपोरेशन (आइओसी) ने अबू धाबी नेशनल आयल कंपनी (एडीएनओसी) से 10 लाख बैरल कच्चे तेल की खरीद का भुगतान भारतीय रुपये में किया है। इसके अलावा रूस से आयात किए गए क्रूड ऑयल के कुछ हिस्से का भी भुगतान रुपये में किया गया है। एक अधिकारी ने कहा, ‘जहां रकम अधिक नहीं है वहां रुपये में सौदा निपटान में ज्यादा समस्या नहीं होती है। लेकिन जब कच्चे तेल का हरेक जहाज लाखों डालर की कीमत का हो तो समस्याएं होती हैं।
पिछले सप्ताह संसद में पेश संसदीय समिति की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय रुपये में कच्चे तेल का भुगतान लेने की दिशा में प्रगति अच्छी नहीं है। इस पर अधिकारियों ने यह माना कि वित्त वर्ष 2022-23 में हालात ऐसे ही रहे हैं लेकिन इस साल तेल का कुछ कारोबार रुपये में हुआ है।