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इंडियन आर्मी: बलिदान होने वाले अग्निवीर के परिवार को मिल सकती है पेंशन व अन्य सुविधाएं

मौजूदा प्रावधानों के अनुसार, ड्यूटी के दौरान बलिदान होने वाले अग्निवीर के परिवार को अभी सामान्य सैनिकों जैसी सुविधाएं नहीं मिलतीं।

ड्यूटी के दौरान बलिदान होने वाले अग्निवीर के परिजनों को सामान्य सैनिकों की तरह ही पेंशन और अन्य सुविधाएं मिलनी चाहिए। संसदीय समिति ने ये सिफारिश की है। मौजूदा प्रावधानों के अनुसार, ड्यूटी के दौरान बलिदान होने वाले अग्निवीर के परिवार को अभी सामान्य सैनिकों जैसी सुविधाएं नहीं मिलतीं। रक्षा मामलों की संसदीय समिति ने अपनी ताजा रिपोर्ट में कहा है, ‘परिजनों के दुख को ध्यान में रखते हुए, समिति सिफारिश करती है कि ड्यूटी के दौरान बलिदान होने वाले अग्निवीर के परिजनों को भी वहीं फायदे और सुविधाएं मिलनी चाहिए, जो सामान्य सैनिकों को परिजनों को मिलते हैं।’

क्या है अग्निवीर योजना
जून 2022 में सरकार ने सेना की तीनों सेवाओं में अग्निपथ योजना की शुरुआत की थी। इस योजना के तहत युवाओं को सेनाओं में शॉर्ट टर्म के लिए शामिल किया जाता है। अग्निवीर योजना का मकसद सेना की तीनों अंगों में औसत उम्र को कम करना है। अग्निवीर योजना के तहत 17 साल से लेकर 21 साल तक के युवाओं को सेना के तीनों अंगों में सेवा करने का मौका मिलता है। अग्निवीर योजना के तहत भर्ती होने वाले 25 प्रतिशत युवाओं को सेना में स्थायी कमीशन दिया जाता है।

संसदीय समिति ने अनुग्रह राशि भी 10 लाख रुपये बढ़ाने की सिफारिश की
संसदीय समिति ने ड्यूटी के दौरान जान गंवाने वाले सैनिकों को मिलने वाले अनुग्रह राशि हर वर्ग में 10 लाख रुपये बढ़ाने की भी सिफारिश की है। रक्षा मंत्रालय ने समिति को बताया कि अभी ड्यूटी के दौरान हादसे या आतंकी हिंसा या असामाजिक तत्वों के हमले में जान गंवाने वाले सैनिकों के परिजनों को 25 लाख रुपये अनुग्रह राशि मिलती है। वहीं सीमा पर झड़प या आतंकियों से मुठभेड़ में या फिर समुद्री लुटेरों के साथ मुठभेड़ में जान गंवाने वाले सैनिकों को अभी 35 लाख रुपये की अनुग्रह राशि मिलती है। वहीं युद्ध के दौरान दुश्मन के हमले में बलिदान होने वाले सैनिकों को 45 लाख रुपये की अनुग्रह राशि दी जाती है।

संसदीय समिति ने अपनी सिफारिश में कहा है कि ‘सरकार को अनुग्रह राशि हर वर्ग में 10-10 लाख रुपये बढ़ाने पर गंभीरता से विचार करना चाहिए। साथ ही इसकी न्यूनतम राशि 35 लाख रुपये और अधिकतम राशि 55 लाख रुपये होनी चाहिए।’