रायपुर 19 जून।छत्तीसगढ़ में पुलिस परिवारों के चल रहे आन्दोलन के बीच आज सामने आए गृह मंत्री रामसेवक पैकरा ने कहा है कि पुलिस कर्मियों की सभी बुनियादी जरूरतों को प्रति राज्य सरकार हमेशा संवेदनशील रही है।
श्री पैकरा ने आज शाम यहां जारी बयान में कहा कि सरकार नक्सल मोर्चे पर तैनात पुलिस जवानों के साथ-साथ प्रदेश के अन्य जिलों में पदस्थ पुलिस कर्मियों के लिए भी आवश्यक सुविधाओं में वृद्धि कर रही है और उन्हें हर संभव बेहतर से बेहतर सुविधाएं दी जा रही हैं।
पुलिस कर्मचारियों की लगातार कठिन और चुनौतीपूर्ण ड्यूटी को ध्यान में रखकर उन्हें एक महीने का अतिरिक्त वेतन भी दिया जा रहा है।
उन्होने बताया कि पुलिस कर्मचारियों को सेवा में आगे बढ़ने के लिए एक निश्चित और समयबद्ध अवसर देने के उद्देश्य से दस वर्ष सेवा पर प्रथम उच्चतर वेतनमान और बीस वर्ष की सेवा पर द्वितीय उच्चतर वेतनमान देने का भी प्रावधान किया गया है। उन्होंने बताया कि नक्सल विरोधी अभियान में छत्तीसगढ़ पुलिस की महत्वपूर्ण और सराहनीय भूमिका को देखते हुए राज्य सरकार ने 17 जुलाई 09 को उनके लिए संवेदनशील और अतिसंवेदनशील क्षेत्रों के आधार पर क्रमशः 20 प्रतिशत और 15 प्रतिशत मासिक नक्सल क्षेत्र भत्ते की स्वीकृति दी गई थी, जिसे 09 अक्टूबर 2015 को बढ़ाकर अतिसंवेदनशील क्षेत्रों के लिए 50 प्रतिशत, संवेदनशील क्षेत्रों के लिए 35 प्रतिशत और सामान्य क्षेत्रों के लिए 15 प्रतिशत कर दिया गया।
श्री पैकरा ने बताया कि बस्तर राजस्व संभाग के पुलिस कर्मचारियों के लिए 23 जुलाई 2013 से बस्तर भत्ते में वृद्धि की गई है। इसके अंतर्गत वर्तमान में विभिन्न श्रेणियों के कर्मचारियों को 350 रूपए से 600 रूपए तक मासिक बस्तर भत्ता मिल रहा है।श्री पैकरा ने कहा कि राज्य सरकार नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में कर्तव्य निर्वहन के दौरान शहीद होने वाले पुलिस के बहादुर अधिकारियों और जवानों के परिवारों की आर्थिक सुरक्षा के लिए भी सजग है। ऐसे शहीदों के परिवारों को सरकार की ओर से दी जाने वाली सामूहिक बीमा विकल्प विशेष अनुदान योजना 2008 के अनुसार दस लाख रूपए का भुगतान किया जाता था, जिसे दो सितम्बर 2013 से बढ़ाकर 25 लाख रूपए कर दिया गया है। शहीद पुलिस अधिकारियों और जवानों के शिक्षारत संतान के लिए एकमुश्त 40 हजार रूपए दिए जाते हैं।