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भारत से तंजानिया को 30 हजार टन गैर-बासमती सफेद चावल का होगा निर्यात

घरेलू आपूर्ति को बढ़ावा देने के लिए 20 जुलाई, 2023 से गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। विशेष अनुरोध पर खाद्य सुरक्षा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए कुछ देशों को सरकार की ओर से निर्यात की छूट दी जाती है। इसी कड़ी में तंजानिया को चावल निर्यात की अनुमति दी गई है।

सरकार ने तंजानिया को 30,000 टन गैर-बासमती सफेद चावल और जिबूती व गिनी बिसाऊ को 80,000 टन टूटे चावल के निर्यात की अनुमति दी है। विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने एक अधिसूचना में कहा कि नेशनल कोऑपरेटिव एक्सपोर्ट्स लिमिटेड (एनसीईएल) के माध्यम से निर्यात की अनुमति है।

घरेलू आपूर्ति को बढ़ावा देने के लिए 20 जुलाई, 2023 से गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। विशेष अनुरोध पर खाद्य सुरक्षा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए कुछ देशों को सरकार की ओर से चावल निर्यात की छूट दी जाती है। तंजानिया एक पूर्वी अफ्रीकी राष्ट्र है, जबकि जिबूती अफ्रीकी महाद्वीप के पूर्वोत्तर तट पर है।

गिनी-बिसाऊ पश्चिम अफ्रीका में एक उष्णकटिबंधीय देश है। अधिसूचना के अनुसार, जिबूती को 30,000 टन और गिनी बिसाऊ को 50,000 टन टूटे चावल के निर्यात की अनुमति दी गई है। भारत ने इससे पहले नेपाल, कैमरून, कोटे डी आइवर, गिनी, मलेशिया, फिलीपींस और सेशेल्स जैसे देशों को भी इन निर्यातों की अनुमति दी है।

एनसीईएल एक बहु-राज्य सहकारी समिति है। इसे देश की कुछ प्रमुख सहकारी समितियों, जैसे गुजरात कोऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन (जीसीएमएमएफ), जिसे अमूल के नाम से जाना जाता है, इंडियन फार्मर्स फर्टिलाइजर कोऑपरेटिव लिमिटेड (इफको), कृषक भारती कोऑपरेटिव लिमिटेड (कृभको) और नेशनल एग्रीकल्चरल कोऑपरेटिव मार्केटिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (नेफेड) द्वारा संयुक्त रूप से बढ़ावा दिया जाता है।