प्रदेश से मानसून की विदाई पूरी तरह से हो गई है। इसकी घोषणा मौसम विभाग ने शुक्रवार को कर दी। मानसून के जाने के साथ ही आंचलिक मौसम विज्ञान केंद्र लखनऊ ने प्रदेश में सर्दियों को लेकर आकलन शुरू कर दिया है। वरिष्ठ मौसम वैज्ञानिक अतुल कुुमार सिंह का कहना है कि एक सप्ताह तक मौसम शुष्क रहेगा। हालांकि बादल छाए रहेंगे, धूप भी खिलेगी। भोर की शुरुआत हल्की सी सिहरन के साथ होगी। उन्होंने बताया कि पहाड़ों पर बर्फबारी का अभी असर नहीं दिखेगा। अभी हवा पछुआ चल रही है और इसमें तेजी भी नहीं है। इस कारण से मौसम सामान्य है। दिन और रात का पारा अभी सामान्य से अधिक बना हुआ है, यह स्थिति अक्तूबर तक रहेगी। शुक्रवार को प्रदेश में दिन का अधिकतम तापमान वाराणसी में 35.9 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। वहीं राजधानी के मौसम में इस वक्त मिला-जुला असर दिख रहा है। सुबह की शुरुआत बादल-बदली के साथ हुई। दिन चढ़ने के साथ धूप खिली तो, लोगों ने तल्खी महसूस की।
उत्तर प्रदेश से मानसून की विदाई पूरी तरह से हो गई है। इसकी घोषणा मौसम विभाग ने शुक्रवार को की। मानसून के जाने के साथ ही आंचलिक मौसम विज्ञान केंद्र लखनऊ ने प्रदेश में सर्दियों को लेकर आकलन शुरू कर दिया है। वरिष्ठ मौसम वैज्ञानिक अतुल कुुमार सिंह का कहना है कि एक सप्ताह तक मौसम शुष्क रहेगा। हालांकि बादल छाए रहेंगे, धूप भी खिलेगी। भोर की शुरुआत हल्की सी सिहरन के साथ हो सकती है, लेकिन सर्दियां अक्तूबर तक तो आने से रहीं।
पहाड़ों की बर्फबारी का असर मैदान तक पहुंचने में लगेगा वक्त
मौसम वैज्ञानिक कहते हैं कि पहाड़ों पर बर्फबारी को लेकर लोग अक्सर सोचते हैं कि अब मैदान में ठंड बढ़ जाएगी। हमेशा ऐसा नहीं होता है। अभी हवा पछुआ चल रही है और इसमें तेजी भी नहीं है। इस कारण से मौसम सामान्य है। दूसरे दिन और रात का पारा अभी सामान्य से अधिक बना हुआ है, यह स्थिति अक्तूबर तक रहेगी। शुक्रवार को प्रदेश में दिन का अधिकतम तापमान वाराणसी में 35.9 डिग्री सेल्सियस रहा जबकि मुजफ्फरनगर व बरेली में दिन का पारा 20 डिग्री से कम रहा। सबसे अधिक न्यूनतम पारा लखीमपुर खीरी में 26 डिग्री रहा।
राजधानी में सुबह से आते-जाते रहे बादल
राजधानी के मौसम में इस वक्त मिला-जुला असर दिख रहा है। सुबह की शुरुआत बादल-बदली के साथ हुई। दिन चढ़ने के साथ धूप खिली तो, लोगों ने तल्खी महसूस की। वरिष्ठ मौसम वैज्ञानिक के मुताबिक, बादल छाए रहेंगे पर बारिश नहीं होगी। यह एक सामान्य जलवायविक स्थिति है, जिसके कारण मौसम में उतार-चढ़ाव दिख रहा है।