तिरुपति धाम में 8 नवंबर से पांच दिवसीय 12वें ‘ब्रह्मोत्सव’ और ‘पंच-कुंडीय श्री लक्ष्मीनारायण महायज्ञ’ का आयोजन किया जा रहा है। समापन के महत्वपूर्ण अवसर पर ‘पट्टाभिषेक विधि’ देवप्रबोधिनी एकादशी पर 12 नवंबर (मंगलवार) को दोपहर एक बजे आयोजित की जाएगी। इस समारोह में युवराज स्वामी राघवेन्द्रचार्य का पट्टाभिषेक होगा और उन्हें जगद्गुरु रामानुजाचार्य के पद से सुशोभित किया जाएगा। मुख्य अतिथि जगद्गुरु रामानुजाचार्य स्वामी वासुदेवाय विद्या भास्कर स्वामी महाराज होंगे। ये सभी कार्यक्रम भगवान तिरुपति धाम बड़नगर रोड उज्जैन में आयोजित किए जा रहे हैं।
समारोह के संबंध में अनंतश्री विभूषित जगद्गुरु रामानुजाचार्य स्वामी श्रीकांताचार्य महाराज ने बताया कि युवराज स्वामी राघवेन्द्रचार्य को रामानुजाचार्य परंपरा के अनुसार जगद्गुरु रामानुजाचार्य के पद से सुशोभित किया जा रहा है। पट्टाभिषेक के लिए इन दिनों 25 आचार्य और विद्वानों द्वारा यज्ञशाला में प्रतिदिन सुबह 10 बजे से शाम 6 बजे तक यज्ञ किया जा रहा है। धर्मप्राण जनता और भक्तजन इन आयोजनों में उत्साहपूर्वक भाग ले रहे हैं। प्रतिदिन सुबह 9 बजे महाभिषेक, 11 बजे से 1 बजे तक हवन, रात्रि 7:30 से 8 बजे तक प्रबंध पाठ, और 8:15 बजे मंदिर परिसर में सवारी निकाली जा रही है। श्रीकांताचार्य महाराज ने बताया कि उनकी आयु 87 वर्ष हो चुकी है। तिरुपति धाम के समस्त काम-काज के व्यवस्थित संचालन के लिए युवा आचार्य को यह जिम्मेदारी देने का निर्णय लिया गया है। राघवेन्द्रचार्य की योग्यताओं और तिरुपति धाम के प्रति उनके समर्पण के कारण यह दायित्व उन्हें सौंपा जा रहा है। पूर्व में उन्हें विधिपूर्वक ‘युवराज स्वामी’ के पद पर प्रतिष्ठित किया गया था।
अयोध्या में भी शिक्षा ग्रहण
22 वर्षीय राघवेन्द्रचार्य ने उज्जैन के ऑक्सफोर्ड जूनियर कॉलेज से सीबीएसई माध्यम से 10वीं कक्षा उत्तीर्ण की है। वे पिछले पांच वर्षों से अयोध्या स्थित श्री कोशलेस सदन में व्याकरण और आचार्य की शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। श्रीमद्भागवत कथा पारायण और ज्योतिष में उनकी गहरी रुचि है। जगद्गुरु रामानुजाचार्य के पद पर पट्टाभिषेक के अवसर पर उन्होंने कहा कि यह रस्म अनंतश्री विभूषित जगद्गुरु रामानुजाचार्य स्वामी श्रीकांताचार्य महाराज के आदेशानुसार संपन्न हो रही है, और वे इस महनीय गद्दी की परंपराओं और महिमा को आगे बढ़ाने का पूरा प्रयास करेंगे।